जदयू में चंद दिनों के मेहमान हैं शरद यादव!, आज से तीन दिनों तक बिहार में करेंगे जन संवाद
नई दिल्ली। जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव अगले तीन दिनों तक बिहार में रहेंगे। इस दौरान शरद यादव बिहार के 7 जिलों का दौरा कर जनता से सीधा संवाद करेंगे। इतना ही नहीं शरद यादव जनता दल यूनाइटेड के नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी बात करेंगे।
गुजरात में राज्य सभा चुनाव में जदयू विधायक छोटू भाई वसावा द्वारा कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को वोट दिए जाने से नीतीश कुमार खेमे को शरद यादव ने अपने इरादे पहले ही जता दिए हैं। जदयू सूत्रों की माने तो 19 अगस्त को होने जा रही जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शरद यादव और उनके समर्थक सांसदों, विधायकों पर कार्रवाही की जा सकती है।
जदयू सूत्रों ने कहा कि शरद यादव तीन दिनों तक बिहार में प्रवास करेंगे। ज़ाहिर है वे नीतीश सरकार की तारीफ़ में कसीदे पढ़ने तो नहीं आ रहे। वे जन संवाद के ज़रिये बताएँगे कि कैसे कुर्सी की खातिर नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़कर जनादेश के साथ खिलवाड़ किया है। सूत्रों ने कहा कि ऐसे में नीतीश भी कहाँ चुप बैठने वाले हैं। इसलिए ये तो तय है कि शरद यादव बिहार से जाते जाते नीतीश कुमार का बहुत कुछ ले जायेंगे।
शरद यादव के बिहार दौरे को जदयू के टूटने और दो फाड़ होने की औपचारिकता के तौर पर देखा जा रहा है। बिहार से लौटने के बाद शरद यादव 17 अगस्त को दिल्ली में एक सम्मेलन करने की योजना भी बना रहे हैं।
बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार द्वारा बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बावजूद शरद यादव ने बीजेपी और मोदी सरकार पर अपने प्रहार जारी रखे हैं। इससे ज़ाहिर होता है कि वे किसी भी कीमत पर बीजेपी के साथ खड़े होने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड से शरद यादव की विदाई तय है।
यहाँ एक अहम सवाल है कि जदयू से अलग होने की दशा में शरद यादव के पास दूसरे क्या विकल्प हैं। हालाँकि इस सवाल को शरद यादव टालते आये हैं। जब उनसे नई पार्टी बनाने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने इससे इंकार कर दिया। उन्होंने नई पार्टी बनाने के इरादे से साफ़ इंकार करते हुए नई पार्टी बनाने की बात को अपने करीबी लोगों द्वारा भावनाओं में दिया गया बयान बताया।
भले ही शरद यादव मीडिया में कोई भी बयान देने से बच रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ यह भी तय माना जा रहा है कि शरद यादव और नीतीश कुमार के बीच बीजेपी को लेकर किसी समझौते की उम्मीद करना बेकार है। इसलिए यह तो तय है कि जल्द ही शरद यादव जनता दल यूनाइटेड का हिस्सा नहीं रहेंगे। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो उनके पास अन्य विकल्प क्या हैं ? ये अभी कह पाना मुश्किल है।