चिदंबरम का दावा: जनधन योजना भी एक जुमला, इसमें बड़े पैमाने पर हुई धोखाधड़ी
नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का दावा है कि मोदी सरकार में शुरू की गयी जनधन योजना भी सिर्फ एक जुमला है और इस योजना में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की गयी है।
उन्होंने कहा कि साल 2016 तक 24 फीसदी खाते जीरो बैलेंस वाले थे। वित्त मंत्रालय के मुताबिक 6.1 करोड़ जनधन खाते निष्क्रिय हैं. जबकि 33 फीसदी खाते उन लोगों ने खोले, जिनके पास पहले से ही खाता था।
चिदंबरम ने कहा कि नोटबन्दी के बाद इन खातों में 42187 करोड़ रुपये जमा हुए हैं। वित्त मंत्री ने धमकी भी दी कि कार्रवाई करेंगे फिर बाद मे मुकर गए। उन्होंने कहा कि सिर्फ यूबीआई में ही 11,80,000 जनधन खाते हैं. यूपीए ने 25 करोड़ खाते खोले थे।
चिदंबरम ने कहा कि सच ये है कि जनधन योजना का ग्राहकों को कोई फायदा नहीं हुआ है, बल्कि इन खातों को बनाए राखने के लिए अकेले एसबीआई को 775 करोड़ खर्च करने पड़े हैं। जनधन खातों का इस्तेमाल नोटबन्दी के बाद काला धन खपाने में किया गया है।
रिज़र्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल और सरकार के बीच चल रहे मतभेदों पर चिदंबरम ने कहा कि रघुराम राजन के समय भी यही हुआ था। आरबीआई गवर्नर को अपमानित किया जा रहा है, ये ठीक नहीं है। ये सरकार सेक्शन 7 को गलत समझ रही है।
वहीं राम मंदिर निर्माण पर सरकार द्वारा शीतकालीन सत्र में संसद में अध्यादेश के सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि राम मंदिर पर अध्यादेश लाना असंवैधानिक होगा। उन्होंने कहा कि यह सरकार सिर्फ ये जुमला छोड़कर लोगों का मूड भापना चाहती है।