गोरखपुर हादसे पर फंसी योगी सरकार: प्रशासनिक जांच रिपोर्ट में भी ऑक्सीजन की कमी का खुलासा

गोरखपुर हादसे पर फंसी योगी सरकार: प्रशासनिक जांच रिपोर्ट में भी ऑक्सीजन की कमी का खुलासा

गोरखपुर। गोरखपुर के एमआररडी अस्पताल में हुई बच्चो की मौत के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जिलाधिकारी राजीव रौतेला द्वारा कराई गई मजिस्ट्रेट जांच में यह साफ ही हो गया है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 एवं 11 अगस्त को हुई मासूमों की मौत के पीछे आक्सीजन की कमी भी एक बड़ी वजह रही।

रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है कि ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराए बगैर जिम्मेदार छुट्टी चले गए। यदि समय रहते अपनी जिम्मेदारियों का निवर्हन किया होता तो शायद यह परिस्थिति ही न पैदा होती। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार की है।

डीएम की रिपोर्ट के मुताबिक कालेज के निलंबित प्राचार्य एवं सबसे जिम्मेदार व्यक्ति डा. राजीव मिश्रा ने समय से आपूर्ति बंद होने की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी। 9 अप्रैल को मुख्यमंत्री को दौरे के तत्काल बाद छुट्टी पर चले गए। मुख्यमंत्री 4 घंटे तक मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध रहे लेकिन एक बार भी इस संभावित संकट पर चर्चा नहीं की।

रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए डॉक्टर सतीश कुमार भी अपनी जिम्मेदारियों से विरत रहे। प्राचार्य के अवकाश पर जाने के बाद सतीश कुमार 11 अगस्त को बिना किसी अधिकारिक सूचना के अवकाश पर चले गए। उन्होंने ऑक्सीजन की उपलब्धता को सुनिश्चित नहीं किया।

100 नम्बर वार्ड के नोडल प्रभारी पद से हटाए जा चुके डॉक्टर कफिल खान ने कमेटी के समक्ष आरोप लगाया कि एईएस वार्ड की खराब एसी को ठीक कराने की लिखित शिकायत के बाद भी नोडल अधिकारी सतीश कुमार ने उसे ठीक नहीं कराया। इस कारण बच्चे गर्मी से बिलबिलाते रहे।

रिपोर्ट में डॉक्टर सतीश कुमार साथ के साथ सहायक के रूप के आक्सीजन की उपलब्धता को लेकर लॉग बुक और स्टाक बुक संभालने वाले चीफ फार्मासिस्ट गजानन जयसवाल भी दोषी ठहराए गए। जांच कमेटी के समक्ष वे अपडे़ट लॉग बुक और स्टाक बुक नहीं प्रस्तुत कर पाए। न ही उन कोई हस्ताक्षर था, जबकि कई स्थानों पर ओवरराइटिंग भी मिली।

रिपोर्ट में लेखाविभाग को इस बात के लिए जिम्मेदार ठहराया गया क्योंकि जब शासन से बजट आया तो प्राचार्य को समय से सूचित नहीं किया गया, न ही उनके समक्ष पत्रावली प्रस्तुति की गई। हालांकि जांच कमेटी के समक्ष लेखा विभाग के कर्मचारियों ने कहा कि ऐसा उन्होंने प्राचार्य के मौखिक आदेश पर किया था। इसके लिए कार्यालय सहायक उदय प्रताप शर्मा को जिम्मेदार माना गया। पुष्पा सेल्स के भुगतान की फाइल इन्हीं के पास थी। इसके अलावा लेखा लिपिक संजय त्रिपाठी एवं सहायक लेखाकार सुधीर पांडेय को भी जिम्मेदार ठहराया माना गया।

रिपोर्ट में ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद किए जाने के लिए पुष्पा सेल्स को जिम्मेदार ठहाराया गया। कमेटी ने माना कि आक्सीजन जीवन रक्षक दवाओं की श्रेणी में आता है। ऐसे में फर्म इसकी आपूर्ति बंद नहीं कर सकती थी।

बता दें कि प्राचार्य डॉक्टर राजीव मिश्रा निलंबित किए जा चुके हैं। उन्होंने निलंबन के पूर्व प्राचार्य पद से त्यागपत्र भी दे दिया था। डा. कफील खान को 100 नम्बर वार्ड के नोडल प्रभारी पद से हटाया जा चुका है। शेष अन्य के खिलाफ अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

 

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