गोरखपुर: अगर डा कफील 48 घंटे लगातार ड्यूटी न देते तो मर जाते 400 बच्चे !

गोरखपुर: अगर डा कफील 48 घंटे लगातार ड्यूटी न देते तो मर जाते 400 बच्चे !

गोरखपुर। गोरखपुर हादसे में मसीहा के तौर पर सामने आये डा कफील को उत्तर प्रदेश सरकार ने निलंबित कर दिया है। वहीँ कुछ लोग सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी न्यूज़ क्लिपिंग पोस्ट कर डा कफील को खलनायक बनाने की कोशिश में लगे हैं।

गोरखपुर में बच्चो की ताबड़तोड़ मौत से जूझने के दौरान डा कफील खान 48 घंटे तक सोये भी नहीं। इतना ही नहीं उन्होंने हर बच्चे को बचाने के लिए हर कोशिश की। स्थानीय लोगों की माने तो उस समय डा कफील किसी फ़रिश्ते से कम नहीं थे। उन्होंने अपनी ड्यूटी के समय की चिंता न करते हुए रात दिन काम किया।

डॉ कफील खान पर आरोप है कि वे प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉक्टर कफील पर कार्रवाई इसलिए की गई है, क्योंकि वो सरकारी डॉक्टर रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे। डा कफील के निलंबन को लेकर उन लोगों में नाराज़गी है जिन्होंने डा कफील को काम करते देखा था।

समाचार चैनल एबीपी न्यूज के मुताबिक कफील की पत्नी डॉक्टर शबिस्ता खान गोरखपुर में बच्चों की अस्पताल चलाती हैं। डॉ कफील पर आरोप है कि वे सरकारी अस्पताल की नौकरी करते हुए भी अपनी पत्नी के अस्पताल से पूरी तरह जुड़े रहे। हालांकि इस आरोप को डॉ कफील के करीबी लोग गलत बता रहे हैं।

इसलिए हुए थे चर्चित

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर कफील खान बच्चों को बचाने के लिए पूरी शिद्दत से लगे हुए थे। कहा जा रहा है कि गुरुवार की रात लगभग 2 बजे कफील खान को अस्पताल से फोन आया कि ऑक्सीजन खत्म होने को है। यह सुनते ही वे हड़बड़ा गए और अपने ड्राइवर को जगाया। उस समय अस्पताल में इन्सेफेलाइटिस से पीड़ित लगभग 400 बच्चे भर्ती थे।

अस्पताल में भर्ती बच्चो के परिजनों की माने तो यदि डा कफील 48 घंटे लगातार ड्यूटी न देते तो मृतक बच्चो की तादाद कई गुना होती। परिजनों ने कहा कि डा कफील पसीने से तर थे, उनके कपडे पसीने से भींगे हुए थे। वे कपडे बदलने तक नहीं गए और एक बेड से दूसरे बेड की तरफ दौड़ते रहे । यदि किसी कारणवश वे कुछ देर के लिए चले जाते तो 400 बच्चो की मौत हो सकती थी।

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TeamDigital