गंगा किनारे वालो को साधने की तैयारी में कांग्रेस, प्रियंका निकालेंगी “गंगा जमुनी तहज़ीब यात्रा”

गंगा किनारे वालो को साधने की तैयारी में कांग्रेस, प्रियंका निकालेंगी “गंगा जमुनी तहज़ीब यात्रा”

लखनऊ ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी कांग्रेस अब अपने पुराने वोट बैंक को साधने की कवायद के तहत गंगा किनारे के मतदाताओं तक पहुँच बनाएगी।

इसके लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी प्रयागराज से वाराणसी तक नदी मार्ग से गंगा जमुनी तहज़ीब यात्रा शुरू करने जा रही हैं। दो दिवसीय यह यात्रा 18 मार्च को प्रयागराज से शुरू होकर 19 मार्च को वाराणसी में सम्पन्न होगी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला के मुताबिक, प्रियंका अपनी दो दिवसीय यात्रा में करीब 140 किलोमीटर का सफर तय करेंगी और इस दौरान विभिन्न स्थानों पर वह कार्यकर्ताओं और समाज के अलग-अलग वर्गों के लोगों से मुलाकात करेंगी।

यात्रा के अंतिम पड़ाव में 19 मार्च को प्रियंका गांधी का वाराणसी के मशहूर अस्सी घाट पर एक स्वागत समारोह भी आयोजित किया गया है और वह 20 मार्च को दिल्ली रवाना होने से पहले काशी विश्वनाथ के दर्शन भी करेंगी।

राजीव शुक्ला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका 17 मार्च को लखनऊ पहुंचेंगी और रात में इलाहाबाद जाएंगी।

उन्होंने कहा कि प्रयागराज में छटनाग से 18 मार्च की सुबह वह ‘गंगा-जमुनी तहजीब यात्रा’ शुरू करेंगी और करीब 40 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर वाराणसी के निकट दमदमा पहुंचेंगी जहां वह एक स्वागत कार्यक्रम में भाग लेने के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात करेंगी।

शुक्ला ने बताया कि इसके बाद नौका से ही वह लाक्षागृह जाएंगी जहां 18 मार्च की रात में वह विश्राम करेंगी। अगले दिन यानी 19 मार्च को वह माढहा नामक स्थान पर स्वागत समारोह में शामिल होंगी।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को फिर खड़ा करने की ज़िम्मेदारी के तहत प्रियंका की इस गंगा जमुनी तहज़ीब यात्रा को राजनैतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है। कभी गंगा से सटे प्रयागराज से लेकर वाराणसी के इलाको में कांग्रेस की तूती बोलती थी लेकिन क्षेत्रीय दलों द्वारा कांग्रेस के वोटबैंक में सेंध लगाए जाने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कई मजबूत दुर्ग उसके हाथ से निकल गए हैं।

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