क्या 27 अगस्त से पहले गिर जाएगी नीतीश सरकार ?
नई दिल्ली। पटना में 27 अगस्त को राष्ट्रीय जनता दल की होने जा रही बीजेपी भगाओ देश बचाओ रैली से पहले नीतीश सरकार पर बड़ा खतरा आने के संकेत मिले हैं। नीतीश कुमार के बीजेपी से हाथ मिलाने से नाराज़ जनता दल यूनाइटेड के कई नेता नीतीश कुमार के खिलाफ लामबंद होना शुरू हो गए हैं।
नीतीश कुमार के बीजेपी के पाले में जाने से नाराज़ जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने आज चौथे दिन भी अपनी ख़ामोशी बरकरार रखी है लेकिन वे विपक्ष के नेताओं से लगातार मिल रहे हैं। इसी क्रम में आज शरद यादव से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी नेता डीराजा ने मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद डी राजा ने कहा कि शरद यादव अभी भी नीतीश कुमार के फैसले से सहमत नहीं हैं।
वहीँ सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों में कहा गया है कि जदयू के कुछ असंतुष्ट नेता चाहते हैं कि जल्द ही जनता दल यूनाइटेड का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर नीतीश कुमार पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। ये कार्यवाही नीतीश कुमार की मनमानी और बीजेपी से हाथ मिलाने से पहले पार्टी नेताओं से चर्चा न करने के लिए की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि बिहार में महागठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने से पहले नीतीश कुमार ने जदयू के वरिष्ठ नेताओं और सांसदों से कोई विचार विमर्श नहीं किया। यहाँ तक कि जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता शरद यादव को भी सिर्फ फैसला होने पर ही जानकारी मिली।
सूत्रों ने कहा कि शरद यादव कांग्रेस और बामपंथी नेताओं से भी सम्पर्क बनाये हुए है। बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद शरद यादव ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी से मुलाकात की थी वहीँ कांग्रेस नेता गुलामनबी आज़ाद और सीताराम येचुरी से काफी देर तक बातचीत की थी।
सूत्रों ने कहा कि शरद यादव और कुछ अन्य जदयू नेता, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से भी सम्पर्क बनाये हुए हैं। सूत्रों ने कहा कि राजद नेता और स्वयं लालू चाहते हैं कि नीतीश के खिलाफ जो भी एक्शन लेना हो वह 27 अगस्त से पहले ले लिया जाए। जिससे 27 अगस्त को होने वाली बीजेपी भगाओ देश बचाओ रैली में जनता दल यूनाइटेड के असंतुष्ट नेता भी शामिल हो सकें।
सूत्रों ने कहा कि बिहार में नीतीश सरकार ने भले ही विश्वास मत हासिल कर लिया हो लेकिन इसका मतलब ये नहीं लगाना चाहिए कि नीतीश के खिलाफ मामला ठंडा पड़ गया है। सूत्रों ने कहा कि फिलहाल यह मान लिया जाए कि जदयू के अंदर का लोहा गर्म किया जा रहा है और सही मौका आने पर उस पर चोट जायेगी।
सूत्रों ने कहा कि जल्द ही जदयू के कई और असंतुष्ट शरद यादव से मुलाकात कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार शरद यादव ने अपने दोस्त अरुण जेटली के उस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है जिसमे उन्होंने शरद यादव से एनडीए सरकार में शामिल होने के लिए कहा था।
हालाँकि मीडिया में आयी खबरों में यह भी दावा किया गया है कि नीतीश कुमार द्वारा समझाने पर शरद यादव मान आगये हैं लेकिन कम्युनिस्ट नेता डी राजा ने शरद यादव से अपनी मुलाकात के बाद जो कहा वह मीडिया की ऐसी तमाम खबरों को झुठलाता है।
सूत्रों ने कहा कि शरद यादव और अरुण जेटली के बड़े घनिष्ठ सम्बन्ध होने के बावजूद जेटली के प्रस्ताव को ठुकरा देने से साफ़ ज़ाहिर होता है कि शरद यादव किसी कीमत पर बीजेपी के साथ नहीं जा सकते। शायद यही कारण हैं कि बिहार में जनता दल यूनाइटेड की बीजेपी के साथ सरकार बनने के बाद भी शरद यादव ने मोदी सरकार पर हमले जारी रखे हैं।
फिलहाल शरद यादव की ख़ामोशी टूटने का इंतज़ार है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि शरद यादव अपनी चुप्पी तभी तोड़ेंगे जब उनके पास नीतीश सरकार के दुर्ग को ढहाने की पर्याप्त ताकत हो जाएगी।