क्या राम मंदिर मुद्दे का रिप्लेसमेंट है ताज महल मुद्दा ?
नई दिल्ली। ताज महल को लेकर बीजेपी नेताओं के बयान ये दर्शाते हैं कि उनके आरोपों में आत्मविश्वास कम षड्यंत्र ज़्यादा है। संभवतः ये राम मंदिर से लोगों का ध्यान बांटने की एक कोशिश भर है। पूरे मामले का विश्लेषण किया जाए तो बीजेपी जिस तरह इस मामले को उछाल रही है इसमें 3 बड़ी बातें सामने निकलकर आती हैं।
बीजेपी नेताओं द्वारा ताजमहल मामले को तूल देने के पीछे पहला बड़ा कारण लोगों का ध्यान बांटना है। हाल ही में हिमाचल और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में कांटे की टक्कर बताई जाती है वहीँ गुजरात में बीजेपी की हालत अच्छी नहीं है।
ऐसे में बीजेपी के पास बचा एक पुराना राम मंदिर मुद्दा भी फिर से इसलिए नहीं उठाया जा सकता क्यों कि राज्य और केंद्र दोनो जगह बीजेपी की सरकारें हैं। ऐसे में बीजेपी किसी को दोष नहीं दे सकती। वहीँ मामला सुप्रीमकोर्ट में है इसलिए बीजेपी नेता राम मंदिर मामले में आधिकारिक रूप से कोई बड़ा बयान देने से बच रहे हैं। इसलिए ताजमहल का मुद्दा उछालकर बीजेपी अपने कटटर हिंदुत्व वाले एजेंडे को फिर से गर्म करने की कोशिश जरूर कर रही है।
ताज महल का मामला गर्माने के बीचे दूसरा अहम कारण यह भी हो सकता है कि इस समय मोदी सरकार कई आरोपों से घिरी है। देश की अर्थव्यवस्था को लेकर उस पर विपक्ष ही नहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी जैसे पार्टी के नेता भी हमले कर रहे हैं। इन हमलो से एक बड़ा सन्देश जनता तक पहुँच रहा है। अभी हाल ही में भोपाल में चली आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक में भी साफ़ तौर पर बीजेपी से जनता के मोह भंग पर चिंता व्यक्त की गयी थी। जनता का मोह भंग होने से रोकने के लिए भी बीजेपी अपनी रणनीति के तहत ताज महल का मुद्दा गरमाने का प्रयास कर सकती है।
बीजेपी नेताओं द्वारा ताज महल मुद्दा उछालने के पीछे तीसरा कारण अगला लोकसभा चुनाव भी हो सकता है। बीजेपी सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव 2018 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावो के साथ भी कराया जा सकता है। यदि अगले वर्ष ही लोकसभा चुनाव हुए तो राम मंदिर, महंगाई, विदेशो से काला धन वापस लाने जैसे मुद्दे पर बीजेपी जनता को क्या जबाव देगी ये उसे अभी से तय करना है।
जानकारों के अनुसार एक सभावना यह भी हो सकती है कि ताज महल का मुद्दा उठाकर इसे आगे आने वाले समय में और बड़े स्तर पर उठाया जाए। इस श्रंखला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विधायक संगीत सोम सहित बीजेपी नेताओं के ताज महल को लेकर दिए जा रहे विवादित बयान इस मामले को भविष्य में बड़े स्तर पर गर्माने का संकेत भी हो सकता है।
जानकारों की माने तो ताजमहल मुद्दा राम मंदिर मुद्दे का रिप्लेसमेंट भी हो सकता है जिसे बीजेपी अगले लोकसभा चुनाव में हिंदुत्व वाले वोटों को भुनाने में इस्तेमाल कर सकती है।
फिलहाल देखना है कि ताज महल का मुद्दा उछालने के पीछे बीजेपी नेता कितने गंभीर हैं और क्या इस पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कोई बयान देते हैं अथवा नहीं।
सबसे अहम बात यह है कि इस मुद्दे पर सबसे पहले बयान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ही आया था। उन्होंने कहा था कि ताजमहल भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है। योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद यह मामला ठंडा सा पड़ गया था लेकिन अब यह मामला फिर से उठाया गया है। इसके पीछे बीजेपी नेताओं की क्या मंशा है यह भी आने वाले समय में साफ़ हो सकेगा।
(राजा ज़ैद)