क्या टूट जायेगा एनडीए: एससी /एसटी एक्ट पर आरपार के मूड में लोक जनशक्ति पार्टी

क्या टूट जायेगा एनडीए: एससी /एसटी एक्ट पर आरपार के मूड में लोक जनशक्ति पार्टी

नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनावो से पहले एनडीए को बड़ा झटका लग सकता है। एनडीए में सहयोगी केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर बीजेपी के लिए नया सिरदर्द पैदा कर दिया है।

लोक जनशक्ति पार्टी एससी/एसटी कानून को पुराने प्रावधान के तहत लागू करने की मांग कर रही है। पार्टी का कहना है कि कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए अध्यादेश लाये. नहीं तो आंदोलन होंगे।

रामविलास पासवान के पुत्र सह जमुई से पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने इशारों इशारों में कहा गया है कि उन्होंने भाजपा को समर्थन मुद्दों के आधार पर दिया है।

चिराग ने कहा कि आज जो परिस्थिति बनी है उसको लेकर चिंता है. सुप्रीम कोर्ट ने जो एससी एसटी कानून में बदलाव किया है उससे कानून दंत हीन और कमजोर हो गया है।

7 अगस्त को संसद खत्म कर अध्यादेश लाया जाये. नहीं तो 9 अगस्त को आंदोलन होगा और संभवत: वही स्थिति बन सकती है जो 2 अप्रैल को बनी थी जिसमें दलित आंदोलन के दौरान हिंसा हुई थी। उन्होंने आशंका जतायी की इस बार का आंदोलन पिछली बार से ज्यादा उग्र और हिंसात्मक हो सकता है।

चिराग पासवान ने कहा कि जस्टिस एके गोयल को एनजीटी का चेयरमैन बनाया गया उससे दलित समुदाय में ये संदेश गया कि उन्हें पुरस्कृत किया गया है। उन्हें तुरंत हटाया जाये. सरकार को हमारा समर्थन मुद्दों पर आधारित है और ये मामला इन्हीं मुद्दों पर है।

चिराग ने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि हम सरकार में साथ रहकर अपनी बात मनवाये। फिलहाल हम टीडीपी जैसा कोई कदम नहीं उठायेंगे। सरकार हमारी एससी/एसटी एक्ट पर बात नहीं सुन रही है। अगर ऐसा होता तो अप्रैल से अभी तक फैसला हो गया होता. लेकिन हमें पीएम पर विश्वास है।

वहीँ माना जा रहा है कि पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच हुई बैठक के बाद लोकजनशक्ति पार्टी के रुख में बीजेपी को लेकर बदलाव आया है।

कहा जा रहा है कि चुनाव से पहले पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड आपस में गठबंधन कर बीजेपी को एन मौके पर तगड़ा झटका दे सकती हैं।

इससे पहले टीडीपी आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर एनडीए छोड़ चुकी है। वहीँ शिवसेना लगातार यह कहती आ रही है कि वह अब बीजेपी के साथ मिलकर कोई चुनाव नहीं लड़ेगी। ऐसे हालत में यदि लोक जनशक्ति और जनता दल यूनाइटेड ने भी एनडीए का दामन छोड़ दिया तो 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे तगड़ा झटका लग सकता है।

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TeamDigital