क्या कम मतदान है सत्तापक्ष के लिए खतरे की घंटी ?

क्या कम मतदान है सत्तापक्ष के लिए खतरे की घंटी ?

नई दिल्ली। आज हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का काम पूरा हो गया है। शाम 06 बजे तक हरियाणा में 61.39 फीसदी तथा महाराष्ट्र में 55.39 फीसदी लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया।

दोनों ही राज्यों में उम्मीद से कम मतदान हुआ है। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में हरियाणा में 76.54% तथा महाराष्ट्र में 63.38% मतदान हुआ था। हरियाणा में कम मतदान होने का 19 साल का रिकॉर्ड ध्वस्त हो गया है।

मतदान के बाद एग्जिट पोल कुछ भी कहें लेकिन चुनाव विश्लेषकों की राय में कम मतदान सत्ता पक्ष के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। जानकारों की मुताबिक कमजोर विपक्ष के चलते भले ही बीजेपी दोनों राज्यों की सत्ता वापसी कर भी ले तो भी उसका वोट शेयर और सीटें कम होना तय है।

2014 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा में 76.54% मतदान हुआ था और बीजेपी ने 90 विधानसभा वाले हरियाणा में 47 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 15 और इंडियन नेशनल लोकदल को 19 सीटें मिली थीं।

वहीँ 2014 के विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 63.38% मतदान हुआ था। इसमें बीजेपी को 122 तथा शिवसेना को 63 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस ने 42 और एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं थीं।

जानकारों की माने तो कम मतदान से राजनैतिक दलों के बड़े स्तर पर समीकरण बन बिगड़ सकते हैं। जानकारों के मुताबिक कम मतदान की अहम वजह मतदाताओं में चुनाव के प्रति उत्साह की कमी है।

जानकारों की माने तो पिछले चुनावो में अधिक से अधिक मतदाताओं को घरो से निकालकर बूथ तक पहुंचाने के लिए बीजेपी ने पन्ना प्रमुखों का इस्तेमाल किया था लेकिन इस बार हरियाणा और महाराष्ट्र में पन्ना प्रमुखों को ज़िम्मेदारी नहीं दी गयी थी।

अधिकतर चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में सत्तारूढ़ बीजेपी के अति आत्मविश्वास के चलते उसके कार्यकर्ताओं ने पिछले चुनावो की तरह बूथ पर सक्रियता नहीं दिखाई। इसका असर चुनाव परिणाम में देखने को मिल सकता है।

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TeamDigital