कोविंद ने मुसलमानो और ईसाईयों को कहा था “राष्ट्र के लिए विदेशी”
नई दिल्ली। एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए घोषित उम्मीदवार रामनाथ कोविंद आरएसएस (संघ) से जुड़े रहे हैं। देश के सल्पसंख्यक वर्ग मुसलमानो और ईसाईयों को लेकर उनकी सोच भी संघ और बीजेपी के अन्य नेताओं से भिन्न नहीं है।
वर्ष 2010 में रंगनाथ मिश्रा आयोग द्वारा सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण मुस्लिमो के लिए तथा 5 प्रतिशत अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को दिए जाने की सिफारिश का रामनाथ कोविंद ने विरोध करते हुए उन्हें “राष्ट्र के लिए विदेशी” करार दिया था।
बतौर बीजेपी प्रवक्ता रामनाथ कोविंद ने रंगनाथ मिश्र की सिफारिशों को असंवैधानिक करार दिया था। इतना ही नहीं दिल्ली में वर्ष 2010 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रामनाथ कोविंद ने रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट को नकारते हुए इसे फाड़ दिया था। उन्होंने कहा था कि वे इस रिपोर्ट में मुसलमानो और ईसाईयों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की सिफारिश से सहमत नहीं हैं।
इतना ही नहीं वर्ष 2012 में रामनाथ कोविंद ने वर्ष 2001 के तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में रक्षा सौदे के लिए पैसा लेते पकडे गए बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण का बचाव भी किया था।
रामनाथ कोविंद को भारतीय जनता पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। फिलहाल यह मानलेना तर्कपूर्ण रहेगा कि रामनाथ कोविंद का नाम बीजेपी और संघ की डायरी में अच्छे स्वयंसेवक और अच्छे कार्यकर्त्ता के तौर पर लिखा हुआ है यही कारण है कि बीजेपी में मौजूद तमाम कद्दावर नेताओं को किनारे रखते हुए उन्हें राष्ट्पति पद का उम्मीदवार बनाया गया है।