केस लड़ते लड़ते बेबस हुईं इशरत जहां की मां, कहा ‘टूट गई हिम्मत, अब और नहीं लड़ सकती’

केस लड़ते लड़ते बेबस हुईं इशरत जहां की मां, कहा ‘टूट गई हिम्मत, अब और नहीं लड़ सकती’

अहम बातें:

  • इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने सीबीआई को लिखा पत्र
  • शमीमा कौसर ने कहा कि वह अब नाउम्मीद हो चुकीं हैं
  • पत्र में लिखा इस पत्र को रिकॉर्ड के तौर पर कोर्ट में पेश करे सीबीआई

नई दिल्ली। 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एक फर्जी मुठभेड़ में मारी गयीं इशरत जहां की मां शमीमा कौसर का कहना है कि वह फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामले के केस को और आगे नहीं लड़ सकतीं।

शमीमा कौसर ने कहा कि अब उनकी हिम्मत टूट चुकी है। एक लंबी लड़ाई में अब वह खुद को आशाहीन और बेबस महसूस कर रही हैं। सीबीआई को लिखी चिट्ठी में इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने लिखा कि सीबीआई इस पत्र को रिकॉर्ड के तौर पर अहमदाबाद कोर्ट में पेश करे।

शमीमा कौसर ने कहा है कि ‘मैं अब कोर्ट की कार्यवाही से दूरी बना रही हूँ और आग्रह करती हूँ कि सीबीआई आरोपियों की दोषसिद्धि तय करने का काम करे। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि 15 साल से अधिक साल बीत गए लेकिन पुलिस अधिकारियों समेत सभी आरोपी जमानत पर हैं। मेरी बेटी की हत्या के मुकदमे का सामना करने के बावजूद कुछ को तो गुजरात सरकार ने बहाल कर दिया। इसलिए न्याय की इतनी लंबी लड़ाई के बाद मैं खुद को आशाहीन और बेबस महसूस करती हूं।

गौरतलब है कि गुजरात पुलिस के 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एक फर्जी मुठभेड़ में इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजदअली अकबरअली राणा और जीशान जौहर मारे गए थे. पुलिस ने दावा किया था कि इनके लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों से संपर्क थे। जबकि मृतकों के परिजनों का कहना है कि यह एनकाउंटर पूरी तरह से फ़र्ज़ी था।

इस मामले में विशेष सीबीआई अदालत के जज आर के चुडावाला पुलिस महानिरीक्षक जी एल सिंघल, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट, पूर्व डीवाईएसपी जी जी परमार, सहायक उप-निरीक्षक अनाजू चौधरी और चार आरोपी पुलिसकर्मियों की ओर से आरोप मुक्ति के लिए दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।

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