केरल हाईकोर्ट की फटकार : सभी अंतर्-धार्मिक विवाहो को न कहें लव जिहाद
नई दिल्ली। हिन्दू मुस्लिम युवक युवती के बीच विवाह को लव जिहाद बताये जाने से नाराज़ केरल हाईकोर्ट ने कहा कि इसे धार्मिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने अपनी अहम टिप्पणी में कहा कि ‘हम राज्य में हर अंतर-धार्मिक विवाह को लव जिहाद या घर वापसी की नजर से देखे जाने के ट्रेंड को देखकर चिंतित हैं।’
वी चितंबरेश और सतीश निनान की खंडपीठ ने कन्नूर के रहने वाले श्रुति और अनीस हमीद की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस शादी को बरकरार रखते हुए जब शादी से पहले दोनों के बीच गहरा प्रेम रहा हो तो ऐसे लव जिहाद नहीं कहा जा सकता।
कोर्ट ने लता सिंह और उत्तर प्रदेश सरकार मामले में 2004 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया, जिसमें अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाह को बढ़ावा देने की बात कही गई थी।
गौरतलब है कि परिवार द्वारा पत्नी को नजरबंद किए जाने पर अनीस हमीद केरल हाईकोर्ट पहुंचे थे। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों को साथ रहने की अनुमति दी है। इस दौरान कोर्ट ने श्रुति के परिजनों की उस याचिका को भी रद्द कर दिया जिसमें अनीस के खिलाफ अभियोग चलाने की मांग की गई थी।