कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को कांग्रेस का जबाव: आप रह चुके हैं रिलायंस के वकील

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को कांग्रेस का जबाव: आप रह चुके हैं रिलायंस के वकील

नई दिल्ली। राफेल डील को लेकर फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति द्वारा किये गए सनसनीखेज खुलासे के बाद जहाँ कांग्रेस मोदी सरकार पर जमकर हमले कर रही है वहीँ बीजेपी नेता इधर उधर की बातें जोड़कर मुद्दे को अलग दिशा में खींचने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बड़े हमले से घायल हुई बीजेपी ने जबाव देने के लिए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को आगे किया। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल राफेल डील को सार्वजनिक कर पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं।

इस पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के आरोपों पर जबाव देते हुए याद दिलाया कि रविशंकर प्रसाद रिलायंस की तरफ से वकील रह चुके हैं।

सुरजेवाला ने कहा, ‘राफेल को लेकर राहुल गांधी के सवालों पर पीएम मोदी तो चुप हैं, लेकिन रक्षा मंत्रालय और कानून मंत्री बयान दे रहे हैं। कानून मंत्री गैर कानूनी बात कर रहे हैं। वो अहंकार में डूबे हुए हैं। सुरजेवाला ने कहा कि कानून मंत्री रिलायंस के वकील रह चुके हैं। इस मामले में रक्षामंत्री भी सामने नहीं आ रही हैं।’

सुरजेवाला ने ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और रविशंकर प्रसाद को राफेल डील के दस्तावेज सार्वजनिक करने की चुनौती दी। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘हमारा फ्रांस के साथ कोई सीक्रेट समझौता नहीं हुआ था। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण झूठ बोल रहे हैं। बीजेपी झूठी कमियां गिनाना बंद कर दे।’

उन्होंने कहा, ‘कानून मंत्री और रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 30 हजार करोड़ रुपये का ठेका अनिल अंबानी की कंपनी को दिलाने में भारत सरकार का कोई रोल नहीं था। हालांकि हकीकत यह है कि प्रधान सेवक देश की सेवा नहीं कर रहे थे, बल्कि अंबानी की सेवा कर रहे थे।’

उन्होंने कहा कि ‘राफेल डील का समझौता करने वाले फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ओलांद ने साफ तौर पर कहा कि 36 राफेल खरीदने की शर्त यह था कि 30 हजार करोड़ का ठेका एचएएल से छीनकर रिलायंस समूह को दिया जाएगा।’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यह भी सच है कि राफेल डील फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद और हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुआ था। इस डील पर जब ओलांद का बयान सामने आया, तो फ्रांस की सरकार, भारत सरकार और पीएम मोदी में से किसी ने इसको गलत ठहराया। इससे साफ है कि ओलांद की बात सच है। उनके बयान को कोई चुनौती नहीं दे पाया। यहां तक कानून मंत्री भी उनके बयान को नहीं काट पाए।’

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