कांग्रेस – सीपीएम को मंजूर नहीं ममता साथ, ठुकराई साथ आने की अपील
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल में बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील को कांग्रेस और सीपीआई(एम) ने ठुकरा दिया है।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान ममता ने बुधवार को विधानसभा में कहा था कि भाजपा प्रदेश में समानांतर सरकार चलाने की कोशिश कर रही है और कांग्रेस-सीपीएम जैसी पार्टियों को भाजपा के खिलाफ संघर्ष में उनका साथ देना चाहिए।
ममता ने विधानसभा में कहा ‘हम सभी- टीएमसी, कांग्रेस और सीपीएम को भाजपा के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें राजनीतिक रूप से हाथ मिलाना है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य मुद्दों पर हम एक साथ आ सकते हैं।’
भाटपारा में हुई हिंसा का उल्लेख करते हुए ममता बनर्जी ने बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग भाटपारा में देख रहे हैं कि अगर आप भाजपा को वोट देते हैं तो क्या होता है।
गौरतलब है कि भाटपारा में 20 जून को सत्तारूढ़ टीएमसी और भाजपा से जुड़े होने के संदेह में दो समूहों के बीच झड़पों के बाद दो लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। भाटपारा का इलाका बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, लोकसभा चुनाव में ये सीट भाजपा ने जीती थी।
ममता की अपील को कांग्रेस और सीपीएम को ख़ारिज कर दिया है। कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने कहा, ‘भाजपा के खिलाफ संघर्ष के लिए हमें ममता बनर्जी से सीखने की आवश्यकता नहीं है। यह उनकी नीतियां ही हैं जिनकी वजह से भाजपा की जमीन बंगाल में तैयार हुई है। पहले उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए कि उनकी गलतियों के कारण ही भाजपा सूबे में ताकतवर हुई है।’
वहीँ ममता की अपील पर सीपीएम ने भी अपना पल्ला झाड़ते हुए कांग्रेस के विचारो से सहमति जताई है। सीपीएम विधायक दल के नेता सुजान चक्रबर्ती ने भी मन्नान के विचारों से सहमति जताई।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और सीपीआई(एम) के बीच शुरू से 36 का आंकड़ा रहा है। राज्य में करीब 34 साल पुरानी वामपंथी सरकार को सत्ता से उखाड़कर ममता बनर्जी सत्ता में आयी थीं। इतना ही नहीं जब राज्य में वाम दलों की सरकार थी तब ममता बनर्जी स्वयं भी सरकार के खिलाफ संघर्ष करती थीं।