कन्हैया के विचार से असहमत, शराब पीना मौलिक अधिकार नहीं: नीतीश

कन्हैया के विचार से असहमत, शराब पीना मौलिक अधिकार नहीं: नीतीश

nitish-kumarपटना । शराब पीना और इसका व्यापार करना दोनों लोगों का मौलिक अधिकार नहीं है। संविधान में भी लिखा है कि शराबबंदी के लिए राज्य सरकारें कदम उठाएं। ये बातें जनता दरबार के बाद संवाददाता सम्मेलन में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कही।

कन्हैया के विचार से अहसमत : कुछ राज्यों में शराबबंदी पहले से भी लागू है। मैं जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के इस विचार से असहमत हूं कि शराबबंदी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अंग नहीं है।

शराबबंदी की देशव्यापी योजना नहीं: मुख्यमंत्री ने कहा कि कन्हैया मुझसे मिलने आए तो मैंने उन्हें इस संबंध में पूरी बात बताई। कभी-कभी होता है जब किसी को विषय की पूरी जानकारी नहीं होती है तो वे इस तरह की बात कहते हैं। शराबबंदी के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने की मैंने कोई योजना नहीं बनाई है, लेकिन इसका प्रभाव सभी राज्यों में है।

हर जगह से शराबबंदी की आवाज उठ रही है। इसको लेकर जहां से भी बुलावा आएगा, वहां जाने की कोशिश करूंगा। दस मई को महिला समूह के कार्यक्रम में धनबाद जाऊंगा। बिहार के ब्रांड अम्बेस्डर के सवाल पर कहा कि हर बिहारी यहां का ब्रांड अम्बेसडर है। बिहारी जहां भी हैं किसी पर बोझ नहीं हैं। लोगों का बोझ उठाते हैं। देश की प्रगति में हर बिहारी अपना सहयोग देते हैं।

नेपाल से निमंत्रण : मुख्यमंत्री ने कहा कि नेपाल सरकार से मुझे वहां हो रहे बौद्ध सम्मेलन में भाग लेने के लिए निमंत्रण आया है, जिसे मैंने विदेश मंत्रालय को उसके परामर्श के लिए भेज दिया है। 13 मई को बनारस में गंगा सप्तमी कार्यक्रम में शामिल होऊंगा। 12 को वहां जदयू के प्रदेश कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लूंगा।

राष्ट्रीय लोक दल के विलय के प्रश्न पर कहा कि इसकी पहल उसके अध्यक्ष अजीत सिंह के द्वारा ही की गई थी। इस बारे में उन्हीं से पूछें। उन्होंने कहा कि विलय की प्रक्रिया लंबी होती है। हमने शुरू से अधिकतम एकता की बात की है। आपस में एकता और तालमेल होना चाहिए। इसका मैं प्रयास करता रहूंगा। भाजपा के खिलाफ एकजुट की बात करना भी बहुत लोगों को नागवार गुजरता है।

केंद्र सरकार हर मोर्चे पर विफल : मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार हर मोर्चे पर विफल है। आर्थिक हो, रोजगार हो, किसानों के हित की बात हो या कालाधन विदेश से वापस लाने की, लोगों को विभिन्न मामलों में उलझा कर रखना चाहती है केंद्र सरकार। अगस्ता वेस्टलैंड मामले की जांच पर कुंडली मार कर केंद्र बैठा है।

दो सालों में जांच का नतीजा क्यों नहीं निकला। जीएसटी मामले पर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार इसे करना ही नहीं चाहती है। संसद ठीक ने नहीं चलने देने के लिए जिम्मेदार केंद्र सरकार ही है। शरद पवार देश के वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने मेरी प्रशंसा की है। इसके लिए मैं उनका शुक्रगुजार हूं।

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TeamDigital