एनडीए में भगदड़: असमगण परिषद ने छोड़ा एनडीए, अपनादल और शिवसेना जल्द ले सकते हैं फैसला
नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जहाँ विपक्ष एकजुट होने की कोशिश कर रहा है वहीँ केंद्र में सत्ताधारी एनडीए में टूट का सिलसिला जारी है।
टीडीपी और आरएलएसपी के बाद अब असमगण परिषद ने एनडीए को अलविदा कह दिया है। वहीँ अपना दल और शिवसेना भी जल्द एनडीए में बने रहने को लेकर अपना फैसला सुना सकते हैं।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है। शिवसेना का कहना है कि वह क्षेत्रीय पार्टी है इसलिए उसको महाराष्ट्र में बीजेपी से ज़्यादा सीटें चाहिए। वहीँ बीजेपी सूत्रों की माने तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को शिवसेना की शर्तें मंजूर नहीं हैं। इसलिए हाल ही में अमित शाह ने महाराष्ट्र के सांसदों के साथ बैठक में निर्देश दिए कि सभी सांसद अकेले दम पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहें।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक शिवसेना ने गठबंधन के लिए बीजेपी के समक्ष कुछ शर्तें रखी हैं जो अमित शाह को मंजूर नहीं। महाराष्ट्र में बीजेपी किसी भी हाल में छोटा भाई बनने को तैयार नहीं है। सूत्रों ने कहा कि फ़िलहाल गठबंधन की सम्भावनएं समाप्ति की तरफ बढ़ रही हैं।
वहीँ उत्तर प्रदेश में एनडीए के एक और सहयोगी दल अपना दल(सोनेलाल) ने भी इस बात के संकेत दिए हैं कि वह बीजेपी से कई मायनो में नाराज़ है और जल्द ही गठबंधन को लेकर बड़ा फैसला ले सकता है।
अपना दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘‘आप (भाजपा) अपना व्यवहार बदलिए, वरना हमारी नेता (अनुप्रिया) कोई भी निर्णय ले सकती हैं। शेर को जगाइए मत. यह शेर आपके पीछे चल रहा है, इसे हिंसक मत बनाइए।”
अपना दल (सोनेलाल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने यहां कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा, ‘उनकी पार्टी वर्ष 2014 से भाजपा के साथ है और पूरी ईमानदारी से गठबंधन-धर्म निभा रही है। मगर उत्तर प्रदेश में पार्टी को भाजपा से वह सम्मान नहीं मिल रहा है, जिसकी उनकी पार्टी हकदार है।’
एनडीए गठबंधन में चुनाव से पहले पैदा हुई रार से बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लग सकता है। अभी कई राज्यों में गठबंधन को लेकर स्थति साफ़ नहीं हुई है। इससे पहले ही एनडीए के घटकदलो में टूट का क्रम जारी है।
देखना है कि आने वाले कुछ दिनों में शिवसेना और अपना दल का क्या रुख रहता है। अगर ये दोनों दल भी एनडीए को अलविदा कहते हैं तो बीजेपी को खासकर महाराष्ट्र में कांग्रेस एनसीपी के अलावा शिवसेना से भी जूझना पड़ेगा।