एक्सक्लूसिव: मुश्किल में मोदी सरकार, 130 किसान संगठनों ने पकड़ी आंदोलन की राह
नई दिल्ली। अभी मध्य प्रदेश में पुलिस फायरिंग में मारे गए आंदोलनकारी किसानो का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि अब देश के 130 किसान संगठनों ने बड़ा आंदोलन छेड़ने की घोषणा कर मोदी सरकार को मुश्किल में डाल दिया है।
शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेस में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी एम सिंह ने किसानों संगठनों के बीच हुए फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि अगर देश के किसानों के बचाना है और उन्हें खड़ा करना है तो किसानों में जागरूकता पैदा करनी होगी और एक करना होगा जिसके लिए जन जागृति यात्रा निकालने का फैसला लिया गया है। इसमें किसान को खड़ा करने का कार्यक्रम बनाया गया है। सरकार सत्ता से पहले किसानों से वादे करती है और सत्ता में आने के बाद इनसे मुकर जाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में चुनावों के दौरान स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की बात की थी जिसमें किसान की फसल की कीमत के साथ 50 फीसदी मुनाफा देना शामिल है और दूसरे देशभर के किसानों के सभी तरह के कर्जे की माफी का मुद्दा। हालाकि देश के राज्यों में किसानों के अलग-अलग मुद्दे हैं लेकिन अभी इन दो मुद्दों पर ही फोकस किया जाएगा। इसके लिए प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी दिया जाएगा और सरकार अगर चर्चा करेगी तो बातचीत भी करेंगे। इन दो मुद्दों से कम पर कोई बातचीत नहीं होगी।
स्वाभिमानी शेतकारी संघटना के संस्थापक और सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि मंदसौर में छह किसानों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसी जगह से किसान छह जुलाई से अपना आंदोलन शुरू करेंगे और हर राज्य में जाकर किसानों को एकजुट करेंगे।
समन्वय समिति में छोटे छोटे गुटों में बंटे किसानों को जोड़ेंगे। धीरे-धीरे किसानों को आंदोलित सरकार को घुटने टेकने व फैसले लेने पर मजबूर किया जाएगा। सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि केंद्र सरकार यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकती है कि कर्जा माफी का जिम्मा राज्य सरकार का है। सरकार ने कोर्ट में हलफनामा देकर अपने वादे से मुकरने की बात साबित कर दी है जिसके चलते किसानों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है।
स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान संगठन जिस तरह एक छतरी के नीचे एकत्रित हुए हैं, यह उनके लिए एतिहासिक मौका है।
मंदसौर व महाराष्ट्र के किसानों से उन्हें संघर्ष की प्रेरणा मिली है। देश में हो रहे आंदोलन स्वत स्फूर्त हैं, इन आंदोलनों को दिशा देने की जरूरत है और इसके लिए समन्वय समिति बनाई है जो देश के किसानों में अलख जगाएगी। इन समिति में हर संगठन से एक-एक प्रतिनिधि होगा। यह प्रतिनिधि सभा बुनियादी फैसले लेगी। किसानों की जन जागृति के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान के तौर पर यात्रा निकाली जाएगी।
दो अक्तूबर को यात्रा खत्म होने के बाद अगली रणनीति पर विचार होगा। इस बार किसान किसी दशा में हारेगा नहीं और अपना हक लेकर रहेगा। इसके अलावा रोजमर्रा के फैसले लेने के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाया गया है। जिसके संयोजक वी एम सिंह होंगे।
इस ग्रुप में सांसद राजू शेट्टी, पूर्व सांसद हन्नान मोल्लाह, तमिलनाडु के अय्याकन्नू, कर्नाटक के चंद्रशेखर, मध्यप्रदेश के डा सुनीलम, राजस्थान के रामपाल जाट, कविता कुलकर्णी, पंजाब के डा दर्शनपाल, व स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव शामिल होंगे। दिल्ली के सेक्रेटिएट चलाने की जिम्मेदारी अभीक शाह को सौंपी गई है। इससे पहले अलग अलग राज्यों से आए किसानों ने अपनी समस्याएं रखी तथा किसानों की एकजुटता पर बल दिया।