ऊपर से खुश लेकिन अंदर से अटकी हैं सांसे, कहीं ऐसा न हो जाए
नई दिल्ली। गुजरात चुनाव पर आये एग्जिट पोल को लेकर बीजेपी में ख़ुशी का माहौल है लेकिन ऊपर बैठे नेताओं की ख़ुशी में बेचैनी भी है। जब उन्हें 2 फीसदी मतों का स्विंग याद् आता है तो उनकी ख़ुशी काफूर हो जाती है। इस संभावित स्विंग ने कांग्रेस को उम्मीद बंधाई है और बीजेपी की बेचैनी बढ़ाई है।
जानकारों की माने तो एग्जिट पोल में एक बात बड़े कॉमन तौर पर उभर कर सामने आयी है कि सभी एग्जिट पोल इस बात को स्वीकार करते दिख रहे हैं कि जीत के बावजूद बीजेपी का वोट शेयर कम हो रहा है। जानकारों के अनुसार वोट शेयर में कमी होने का मतलब साफ़ है कि बीजेपी की अधकांश सीटें बिल्कुल मार्जिन पर हैं।
ऐसे में यदि दो से चार फीसदी का स्विंग हुआ हो सकता है जो की बड़ी बात नहीं है। जानकारो के अनुसार यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी सत्ता की सीढ़यों पर लड़खड़ा कर गिर सकती है।
जानकारों के अनुसार दो से चार फीसदी मतो के स्विंग होने के आसार इसलिए भी बढ़ गए हैं क्यों कि पिछले चुनावो के अपेक्षा इस चुनाव में पाटीदार और ओबीसी कांग्रेस के साथ अधिक गए हैं। हार्दिक पटेल की सभाओं में जुटी भीड़ इस बात का बड़ा संकेत है कि गुजरात में पाटीदार युवाओं का एक बड़ा तबका जो कि पिछले चुनावो में बीजेपी के साथ रहता था, इस बार कांग्रेस के साथ गया है।
वहीँ पिछले चुनावो में ओबीसी मतदाताओं की एक बड़ी तादाद बीजेपी के साथ रहती थी लेकिन इस बार उसमें सेंध लगी है। ज़ाहिर है इसका नुकसान बीजेपी को होना है। जानकारों की राय में यदि कांग्रेस दस से 20 फीसदी ओबीसी मतदाताओं को बीजेपी से तोड़ने में कामयाब रही हो तो इसका असर पूरे चुनाव पर पड़ना तय है।
कल शाम एग्जिट पोल आने के बाद गुजरात चुनाव में दो से चार फीसदी मतों के स्विंग को लेकर बीजेपी के चुनावी चाणक्य माथा पच्ची करने में जुटे रहे। सूत्रों की माने तो मीडिया में बीजेपी नेता भले ही गुजरात में जीत के दावे भर रहे हों लेकिन अंदर ही अंदर पसीने भी छूट रहे हैं।
एग्जिट पोल में इस बार कांग्रेस को 43 से 44 फीसदी वोटों के साथ 60 से 80 के बीच सीटें दी जा रही हैं लेकिन यदि वोटो का प्रतिशत बढ़ा और 45 फीसदी से अधिक हुआ तो बीजेपी के लिए बड़े खतरे की घंटी बजेगी। चुनावी जानकारों की माने तो एग्जिट पोल में पार्टियों को दिए गए वोट प्रतिशत का चुनावी नतीजों से अलग जाना सामान्य बात है।
जानकारों के अनुसार कई बार एग्जिट पोल गलत साबित हो जाते हैं उसका बड़ा कारण यही है कि एन मौके पर एक से दो फीसदी मतों का स्विंग होता है। जानकारों के अनुसार एग्जिट पोल में सैम्पल नमूने कम लोगों पर लिए जाते हैं और उन्ही सेम्पल डाटा के आधार पर रिपोर्ट तय की जाती है।
जानकारों की माने तो कई बार ऐसा देखा गया है कि चुनाव के अंतिम कुछ घंटो में एक बयार सी चलती है और 2 से 5 फीसदी तक वोट स्विंग करता है। जिसे एक्जिट पोल में शामिल किया जाना बहुत मुश्किल होता है।
फिलहाल सभी की नज़रें 18 तारीख पर लगी हैं। जब गुजरात और हिमाचल के चुनावी नतीजे आएंगे लेकिन इतना ज़रूरी नहीं कि जो एग्जिट पोल बता रहे हैं वह सौ फीसदी सच साबित हो जाए।