गहराई से: एनआरसी पर उल्टा पड़ा बीजेपी का दांव, सुप्रीमकोर्ट जाने की तैयारी
नई दिल्ली(राजाज़ैद)। असम में एनआरसी की अंतिम सूची आने के बाद अब बीजेपी के अंदर ही एनआरसी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। एनआरसी की अंतिम सूची आने से पहले मुसलमानो को घुसपैठिये कहने वाले और उन्हें देश से बाहर निकाल देने की बातें करने वाले बीजेपी नेता अब बगलें झाँक रहे हैं।
सम्भवतः बीजेपी नेताओं को उम्मीद थी कई एनआरसी की फाइनल सूची में से बड़ी तादाद में मुसलमानो के नाम गायब निकलेंगे लेकिन सच्चाई इससे परे निकली। अब बदले हालातो में बीजेपी ने एनआरसी डाटा के फिर से सत्यापन के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।
इससे पहले बतौर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपनी सभाओं में कहते रहे हैं कि उनकी सरकार घुसपैठियों को देश से बाहर करेगी लेकिन हिन्दू शरणार्थियों को भारत की नागरिकता प्रदान की जायेगी। अमित शाह जैसे कई बीजेपी नेताओं के बयान से साफ़ है कि एनआरसी के बहाने असल निशाना वे मुसलमान ही थे जिनके पास खुद को भारत का नागरिक साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज नहीं हैं।
एनआरसी की अंतिम सूची आने के बाद अब बीजेपी आरोप लगा रही है कि असम के सीमावर्ती जिलों से बहुत से लोगों ने सूची में अपनी जगह बना ली है। इन सीमावर्ती जिलों की आबादी ज्यादा है और इनमें बड़ी संख्या अवैध बांग्लादेशी हैं।
असम में एनआरसी की अंतिम सूची जारी होने के बाद बीजेपी के तेवर नरम हो गए हैं। खुद असम सरकार और केंद्र सरकार की तरफ से भी यह कहा गया है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी की लिस्ट में शामिल नहीं हैं फिलहाल उनकी कोई गिरफ्तारी नहीं होगी।
सरकार के बयान से साफ़ है कि एनआरसी को लेकर अब उसके तेवर नरम हैं और एनआरसी को लेकर जिस उम्मीद से बीजेपी काम कर रही थी, उसका दांव उल्टा पड़ा है।
असम सरकार में वित्त मंत्री और बीजेपी नेता हेमंत बिस्वा शर्मा ने तो यहाँ तक कहा कि “मसौदे के ठीक बाद हम एनआरसी के वर्तमान स्वरूप से उम्मीद खो चुके हैं। जब बहुत से असली भारतीय बाहर हो गए हैं तो आप कैसे दावा कर सकते हैं कि यह दस्तावेज असमिया समाज के लिए महत्वपूर्ण है।”
एनआरसी की अंतिम सूची आने के बाद खिसियाई बीजेपी अब एनआरसी के प्रमुख समन्वयक प्रतीक हजेला पर आरोप जड़ रही है। बीजेपी का आरोप है कि वास्तविक नागरिकों की कीमत पर फर्जी दस्तावेज लगाने वाले कई आवेदकों का नाम भी एनआरसी की आखिरी सूची में शामिल कर लिया गया है।
ये है आंकड़ा :
गौरतलब है कि 31 अगस्त को जारी हुई एनआरसी की फाइनल लिस्ट में एनआरसी की सूची में 3 करोड़ 11लाख 21 हजार 4 लोगों को शामिल किया गया है जबकि सूची से 19 लाख 6 हजार 657 लोगों को बाहर रखा गया है।
इनमें ज्यादातर बंगाली हिंदू शरणार्थी हैं जो 1971 से पहले असम आए थे या पर्याप्त दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाने वाले लोग हैं। बताया जा रहा है कि इनकी संख्या करीब 11 लाख है। जबकि बाहर होने वालों में करीब 6 लाख लोग मुसलमान हैं।
बीजेपी नेता करते रहे हैं घुसपैठियों की बात :
असम में एनआरसी पर दोबारा काम शुरू होने से पहले भी बीजेपी नेता देश से घुसपैठियों को बाहर करने की बात करते रहे हैं लेकिन वहीँ दूसरी तरफ साथ में यह भी कहते रहे हैं कि उनकी सरकार हिन्दू शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करेगी। अहम सवाल यही है कि यदि हिन्दू शरणार्थियों को भारत नागरिकता देगा तो क्या बीजेपी घुसपैठियों के नाम पर सिर्फ मुसलमानो को देश से बाहर करने की बात कर रही है ?