इशरत मामले की फाइलों का गायब होना एक बड़ा संदेह
नई दिल्ली । इशरत जहां मुठभेड़ मामले में हलफनामा बदलने को लेकर भाजपा के निशाने पर रहे पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि इस मामलें में फाइलों का गायब होना उनके समझ से परे हैं।
उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उस हलफनामे में कानूनी, राजनीतिक या नैतिक रूप से कुछ भी गलत नहीं था। बता दें कि अदालत में दाखिल संशोधित हलफनामे में कहा गया था कि इशरत को आतंकी साबित करने के लिए कोई अकाट्य प्रमाण नहीं है।
चिदंबरम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हलफनामा दायर करने से पहले अहमदाबाद के मेट्रोपोलिटन जज एस पी तमांग भी सितंबर 2009 में दाखिल अपनी रिपोर्ट में मुठभेड़ को फर्जी बताया था। बाद की जांचों में भी कहा गया था कि मारे गए लोग पुलिस की हिरासत में थे। उनके पास से बरामद हथियार पुलिस ने रखे थे। यह जांच पहले एसआईटी और बाद में सीबीआई ने की थी।
चिदंबरम ने कहा कि विवरण कहता है कि यह फर्जी मुठभेड़ थी। जो लोग मारे गए थे वे दो या तीन दिन से अधिक समय से हिरासत में थे। उन्होंने कहा, मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि खुफिया सूचना सिर्फ खुफिया सूचना होती है और यह अकाट्य साक्ष्य नहीं होता। खुफिया सूचना के आधार पर आप किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते। इसकी अवश्य जांच की जानी चाहिए और अदालत में मुकदमा चलाया जाना चाहिए।