आर्थिक मोर्चे पर सरकार को एक और झटका, रिज़र्व बैंक ने ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया
नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर जूझ रही मोदी सरकार को एक और झटका लगा है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2019-20 के लिए विकास दर का अनुमान घटा दिया है।
पहले रिज़र्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष 2019-2020 में 6.9 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया था लेकिन अब इसे घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है।
शुक्रवार को जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में विकास दर के अनुमान में कटौती के कारण बताते हुए रिज़र्व बैंक ने कहा है कि अभी तक निजी निवेश और खपत में बढ़ोतरी नहीं हुई है। विश्व अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण निर्यात भी जोर नहीं पकड़ सका है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जो कदम उठाए हैं, उनसे आगे निजी खपत और निवेश में बढ़ोतरी होगी। इससे वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
रिज़र्व बैंक के मुताबिक जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.3 फीसदी, अक्टूबर-दिसंबर में 6.6 फीसदी और जनवरी-मार्च तिमाही में 7.2 फीसदी रहने की उम्मीद है।
वहीँ रिज़र्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष (2020-21) की पहली तिमाही के लिए इसने 7.2 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया है। अच्छे मानसून को देखते हुए इसने कृषि क्षेत्र की विकास दर अच्छी रहने की उम्मीद जताई है। इससे घरेलू मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी।
रिज़र्व बैंक ने मांग में कमी और एनबीएफसी में नकदी संकट को ऑटोमोबाइल सेक्टर की खराब स्थिति के लिए जिम्मेदार माना है। इसका कहना है कि कारों की सुरक्षा के लिए जो रेगुलेटरी कदम उठाए गए हैं, उनसे भी बिक्री प्रभावित हुई है।
आरबीआई का मानना है कि क्षमता का इस्तेमाल बढ़ने के बावजूद कॉरपोरेट सेक्टर निवेश नहीं बढ़ा रहा है। हालांकि हाल में सरकार द्वारा उठाए कदमों के बाद कंपनियां निवेश करेंगी।
रिज़र्व बैंक ने कहा है कि अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 की छमाही में खुदरा महंगाई 3.5 से 3.7 फीसदी रहने के आसार हैं। सितंबर तिमाही में महंगाई दर 3.6 फीसदी रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक ने लांग टर्म में औसत महंगाई दर 4 फीसदी तय कर रखा है। अगस्त में महंगाई दर 3.8 फीसदी रही थी।