आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को लग सकता है बड़ा झटका, पढ़िए ये रिपोर्ट
नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था को लेकर हाल ही में बड़े दावे करने वाली मोदी सरकार के दावे जल्द चकनाचूर हो सकते हैं। वित्तीय साख का निर्धारण करने वाली घरेलू फर्म इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की एक ताजा रिपोर्ट में ये आशंका ज़ाहिर की गयी है।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार कुछ भी कहे, मगर चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे सीमित रखने का बजट में तय लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा, क्योंकि अप्रत्यक्ष कर और गैर-कर राजस्व की प्राप्ति अनुमान के अनुसार नहीं चल रही है।
सरकार ने वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा (सरकार के कुल खर्च की तुलना में उसके राजस्व में कमी) सकल घरेलू उत्पाद के तीन फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है।
राजकोषीय घाटा अर्थव्यवस्था की वृहद स्थिति को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। फिच समूह की इस इकाई को लगता है कि राजकोषीय घाटा अप्रैल-मार्च 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.5 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा. बजट में इसे 3.3 फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह घाटा इस वित्त वर्ष में 6.67 लाख करोड़ रुपये के बराबर रहेगा. बजट में इसके 6.24 लाख करोड़ रुपये रहने का अुनमान लगाया गया है।
एजेंसी का कहना है कि इस बार अप्रत्यक्ष कर राजस्व लक्ष्य से 22,400 करोड़ रुपये और गैर-कर राजस्व 16,200 करोड़ रुपये कम रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक पथ-बीजक (ई वे-बिल) के लागू होने से वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का रिसाव रोकने में मदद मिली है। बजट में सकल अप्रत्यक्ष कर राजस्व में 22.2 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया था, पर यह वृद्धि केवल 4.3 फीसदी रही है।
इसी तरह गैर-कर राजस्व भी लाभांश और विनिवेश आदि से प्राप्तियों में कमी के चलते कुल मिला कर बजट अनुमान से कम रहेगा। सरकार बार-बार कहती आ रही है कि वह चालू वित्त वर्ष के अपने राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल करेगी।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अभी पिछले शनिवार को कहा था कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार रिजर्व बैंक के पैसे की मोहताज नहीं है।