आर्ट आॅफ लिविंग ने लगाया एनजीटी समिति की रिपोर्ट में भेदभाव का आरोप
नई दिल्ली । आर्ट आॅफ लिविंग ने एनजीटी कमेटी के रवैए को पक्षपातपूर्ण और अवैज्ञानिक बताया है। आर्ट आॅफ लिविंग की छवि को खराब करने के लिए तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का आरोप लगाया है। इस मामले पर गुरुवार को आर्ट आॅफ लिविंग के विशेषज्ञों ने सेक्टर-48 में प्रेस वार्ता में एनजीटी कमिटी के 120 करोड़ रुपए के क्षतिपूर्ति के दावे पर सवालिया निशान लगाया।
आर्ट आॅफ लिविंग की तरफ से पर्यावरणविद डॉक्टर प्रभाकर राव ने बताया कि राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) के निष्कर्श पूरी तरह से तार्किक आधार से उलट हैं। जो वैज्ञानिक तथ्यों से परे महज विशेषज्ञों की राय है।
उन्होंने बताया कि एनजीटी कमेटी ने आयोजन स्थल को वेटलैंड की सूची में रखा है। यह वेटलैंड एटलस दिल्ली ने भारत के 1986 सर्वे मैप के साथ प्रदर्शित किया है और न ही सरकार के किसी अधिकृत दस्तावेज में इसे वेटलैंड बताया गया है।
तथ्यों में उलटफेर कर कमेटी इसे पर्यावरण स्वच्छता के दायरे में लाना चाह रही है। जबकि हकीकत यह है कि यह भूमि सदा ही बाढ़ क्षेत्र रही है। एनजीटी समिति के भूमि को समतल करने के तथ्य को भी निराधार बताया।
उन्होंने बताया कि यदि आयोजन के दौरान भूमि समतल हुई है, तब 1985 में किस तरह से उक्त जमीन को समतल भूमि प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने कहा कि एनजीटी कमेटी के ज्यादातर आरोप हकीकत से परे और ठोस नहीं है।