आरटीआई संशोधन बिल पर सोनिया गांधी ने जताया विरोध, कहा ‘हर नागरिक कमजोर होगा’
नई दिल्ली। आरटीआई संशोधन बिल 2019 को मंजूरी मिलने के बाद यूपीए चेयर पर्सन सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर आरटीआई को कमजोर करने का आरोप लगाया है।
सोनिया गांधी ने सूचना का अधिकार कानून में बदलाव का विरोध करते हुए कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार आरटीआई कानून को एक बाधा के रूप में देखती है और केंद्रीय सूचना आयोग की स्थिति और स्वतंत्रता को नष्ट करना चाहती है।
उन्होंने अपने बयान में कहा, “यह बेहद चिंता का विषय है कि केंद्र सरकार ऐतिहासिक सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 को पूरी तरह से ध्वस्त करने पर आमादा है। यह कानून, व्यापक परामर्शों के बाद तैयार किया गया और संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया, जो अब समाप्ति की कगार पर है।”
उन्होंने कहा, “पिछले एक दशक में हमारे देश के 60 लाख लोगों ने आरटीआई का उपयोग किया है और सभी स्तरों पर पारदर्शिता और जवाबदेही प्रशासन की एक नई संस्कृति में प्रवेश करने में मदद की है। परिणामस्वरूप हमारे लोकतंत्र की नींव अथाह रूप से मजबूत हुई है। कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों द्वारा आरटीआई के सक्रिय उपयोग से समाज के कमजोर वर्गों को बहुत फायदा हुआ है।”
सोनिया गांधी ने कहा कि “यह स्पष्ट है कि वर्तमान केंद्र सरकार आरटीआई अधिनियम को एक बाधा के रूप में देखती है और केंद्रीय सूचना आयोग की स्थिति और स्वतंत्रता को नष्ट करना चाहती है जिसे केंद्रीय चुनाव आयोग और केंद्रीय सतर्कता आयोग के साथ रखा गया था।”
उन्होंने कहा कि “केंद्र सरकार अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अपने विधायी बहुमत का उपयोग कर सकती है लेकिन इस प्रक्रिया में वह इस देश के हर नागरिक को अशक्त बना रही है।”
गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा आरटीआई कानून में संशोधन के प्रयासों का विपक्ष विरोध कर रहा है । विपक्षी दलों का कहना है कि इससे देश में यह पारदर्शिता पैनल कमजोर होगा।