आरटीआई में खुलासा: जिस बैंक के अमित शाह थे निदेशक, उसी बैंक में ज़्यादा जमा हुए पुराने नोट

आरटीआई में खुलासा: जिस बैंक के अमित शाह थे निदेशक, उसी बैंक में ज़्यादा जमा हुए पुराने नोट

नई दिल्ली। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005(आरटीआई) के तहत मांगी गयी जानकारी में खुलासा हुआ है कि नोट बंदी के दौरान जिन दो सहकारी बैंको में सबसे अधिक पांच सौ और एक हज़ार के पुराने नोट जमा हुए उसमें से एक बैंक के निदेशक स्वयं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह थे।

वहीँ राजकोट स्थित दूसरी सहकारी बैंक के चेयरमैन जयेशभाई विट्ठलभाई रदाडिया हैं जो इस वक्त गुजरात सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और अमित शाह के करीबी बताये जाते हैं।

आरटीआई में सामने आया है कि अहमदाबाद सहकारी बैंक में नोट बंदी की घोषणा के महज पांच दिनों के अंदर ही 745.59 करोड़ कीमत के पांच सौ और एक हज़ार के पुराने नोट जमा कराये गए थे। पुराने नोटों के जमा होने की यह तादाद देश में सर्वाधिक बताई जा रही है।

वहीँ राजकोट की दूसरी सहकारी में बैंक में 693 करोड़ कीमत वाले पुराने नोट जमा हुए। इतनी बड़ी तादाद में पांच सौ और एक हज़ार के पुराने नोट महज पांच दिनों में यानी 8 नवंबर आधी रात से नोट बंदी लागू होने के बाद से 9 नवंबर लेकर 14 नवंबर 2016 के बीच जमा किये गए।

इकोनोमिक टाइम्स के अनुसार मुंबई के मनोरंजन ए रॉय को आरटीआई से मिली जानकारी में यह खुलासा हुआ है। बता दें कि रिज़र्व बैंक ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया कि नोट बंदी के दौरान कितनी तादाद में पुराने नोट वापस आये। खबर के अनुसार बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आज भी बैंक के निदेशक है।

इस मामले में रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने संसदीय समिति के समक्ष भी कहा कि पुराने नोटों की गिनती चल रही है। गिनती पूरी होने के बाद ही इस बात का खुलासा हो सकेगा कि नोट बंदी के दौरान कितनी तादाद में पुराने नोट वापस आये।

फिलहाल देखना है कि रिज़र्व बैंक पुराने नोटों की तादाद को लेकर कब अपनी गिनती का काम पूरा कर पाता है। इसके बाद ही पता चल सकेगा कि नोट बंदी दौरान बीजेपी नेताओं से जुड़े बैंको में कितनी तादाद में पुराने नोट जमा हुए थे।

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TeamDigital

One thought on “आरटीआई में खुलासा: जिस बैंक के अमित शाह थे निदेशक, उसी बैंक में ज़्यादा जमा हुए पुराने नोट

  1. ऐसे करोड़ों रुपए जमा करनेवालो के नाम सार्वजनिक उजागर होने ही चाहिए ,ताकि जनता इन्हें पहचानें।एसबीआई सिर्फ नोट गीन के अपने कर्तव्य की इतिश्री न समझ ले।? वैसे गवर्नर बीजेपी के फालोवर है_देखने वाली बात होगी कि वे देशहित में हैं कि पार्टी हित मैं!?

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