आज तीन तलाक के विरोध में खड़े इस मंत्री ने शाहबानो केस में पलटवा दिया था कोर्ट का फैसला !
नई दिल्ली। आज तीन तलाक का विरोध करने वाले केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने कभी मुस्लिम धर्म गुरुओं और संगठनों के नेताओं का साथ देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजिव गांधी को अदालत का फैसला पलटने के लिए मजबूर कर दिया था।
1988 के बहुचर्चित शाहबानो प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125, जो परित्यक्त या तलाकशुदा महिला को पति से गुजारा भत्ता का हकदार कहता है, मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू होता है क्योंकि सीआरपीसी की धारा 125 और मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रावधानों में कोई विरोधाभास नहीं है।
उस समय इस मामले में मुस्लिम धर्मगुरुओं और कई मुस्लिम संगठनों ने अदालत के फैसले को शरिया में हस्तक्षेप कहकर इसका पुरजोर विरोध किया था और सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह (जो कि उस समय प्रधानमंत्री कार्यालय में निदेशक के पद पर नियुक्त थे और अल्पसंख्यक मुद्दों को देखते थे) ने कहा कि मैंने अपनी मेज पर ऐसी याचिकाओं और पत्रों का अंबार पड़ा पाया। जिसमें अदालत के फैसले की आलोचना की गई थी और सरकार से हस्तक्षेप कर अदालत का फैसला पलटने की मांग की गई थी।”
द हिन्दू में अपने एक लेख में वह लिखते हैं कि “तब मैंने सुझाव दिया था कि हर याचिकाकर्ता से कहा जाए कि वे सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर करें. एक बार तो ऐसा लगा कि मेरा सुझाव मान लिया गया, हालांकि मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।”
हबीबुल्ला आगे कहते हैं, “तभी एक दिन जब मैंने प्रधानमंत्री राजीव गांधी के चेंबर में प्रवेश किया तो वह राजीव गांधी के सामने एमजे अकबर को बैठा देखा। मैंने देखा कि अकबर, राजीव गांधी इस पर राजी कर ले गए थे कि यदि केंद्र सरकार शाहबानो मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है तो पूरे देश में ऐसा संदेश जाएगा कि प्रधानमंत्री मुस्लिम समुदाय को अपना नहीं मानते।”
वहीँ अब तीन तलाक पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले की हिमायत कर रहे बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने लोकसभा में कहा कि बिल के कानून बनने से 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं को हर समय तलाक दिए जाने के डर से निजात मिल जाएगी। तीन तलाक पर कानून से देश और समुदाय को फायदा होगा और लैगिंक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि यह कानून तीन तलाक का डर दिखाकर महिलाओं को दबाकर रहने वाले पुरुषों के लिए बड़ा झटका है। पवित्र कुरान की कुछ आयतों का जिक्र करते हुए कहा कि इस्लाम में महिलाओं को बराबरी का हक दिया गया है।
उन्होंने कहा कि कानून पूरी तरह से आदर्श नहीं है लेकिन आदर्श की राह देखते हुए अच्छे काम को खत्म नहीं कर सकते। उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए और कहा कि यह कुछ एक जैसी मानसिकता वाले लोगों की संस्था है और यह पूरे मुस्लिम समाज की राय को प्रदर्शित नहीं करता।