इशरत जहाँ मामला : असली मुद्दा शपथ पत्र का नहीं, बल्कि फेक एनकाउंटर का है
नई दिल्ली । इशरत जहां मामले में हलफनामा बदलने को लेकर भाजपा के निशाने पर रहे पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को पलटवार किया। उन्होंने कहा कि वास्तविक मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए हलफनामा विवाद को हवा दी जा रही है, जबकि मुद्दा यह है कि मुठभेड़ फर्जी थी या नहीं।
चिदंबरम ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, वास्तविक मुद्दा यह है कि क्या वह फर्जी मुठभेड़ थी और क्या पहले ही हिरासत में बंद चार लोगों को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था।
अपने कार्यकाल में हलफनामों में हुए बदलाव पर चिदंबरम ने कहा, हलफनामों पर गृह मंत्री हस्ताक्षर नहीं करता है। इन पर अवर सचिव हस्ताक्षर करता है। हालांकि मुझे पहला हलफनामा देखने के बारे में याद नहीं है, माना कि मैंने ऐसा किया। तब मजिस्ट्रेट एसपी तमांग की रिपोर्ट आई थी।
चिदंबरम ने कहा, तमांग की रिपोर्ट आने के बाद भारत सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की गई। इसके मद्देनजर दूसरा लघु हलफनामा दायर किया गया।
क्या है मामला :
15 जून 2004 में इशरत और चार अन्य का अहमदाबाद के बाहर गुजरात पुलिस ने एंकाउंटर किया। पुलिस के मुताबिक वे राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने आए थे। गुजरात और महाराष्ट्र पुलिस और खुफिया ब्यूरो की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने पहले हलफनामे में बताया कि इशरत लश्कर-ए-तैयबा की आतंकी थी। लेकिन दूसरे हलफनामें में कहा गया कि इशरत के लश्कर आतंकी होने के पुख्ता सबूत नहीं है।
लोकसभा में भी गूंजा मामला :
लोकसभा में सोमवार को शून्यकाल के दौरान भाजपा सांसद किरीट सोमैया ने इशरत जहां मामले को उठाया। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि यूपीए सरकार के दौरान इशरत को पहले आतंकी और बाद में शहीद बताए जाने के क्या कारण थे? इस बारे में बनाई गई समिति ने क्या रिपोर्ट दी है। सोमैया ने पूछा कि गायब हुई फाइलें मिल गई हैं या नहीं।