अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा रोकने में विफल रही मोदी सरकार: रिपोर्ट
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय संस्था ह्यूमन राइट वॉच ने मानवाधिकारों पर वर्ल्ड रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि मोदी सरकार अल्पसंख्यको के खिलाफ हिंसा रोकने में विफल रही है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2017 में धार्मिक अल्पसंख्यकों, समाज में हाशिए पर चल रहे समुदायों और सरकार की आलोचना करने वालों को बीजेपी समर्थित लोगों और समूह द्वारा बार-बार निशाना बनाया गया और उन्हें धमकी दी गई।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार ऐसे हमलों और धमकी की निष्पक्ष जांच कराने में भी नाकाम रही है, जबकि बीजेपी के कुछ सीनियर नेता हिन्दू आधिपत्य और उग्र राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए हिंसक समूह को उकसाते रहे हैं।
ह्यूमन राइट वॉच रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी आघात हुआ है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, शिक्षाविदों को अपने खुले विचार रखने पर भी निशाना बनाया गया है और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फॉरेन फंडिंग से जुड़े नियमों को उन गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है जो सरकार के कामकाज और नीतियों की आलोचना करते रहे हैं।
ह्यूमन राइट वॉच रिपोर्ट 2018 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का भी उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चरमपंथी हिंदू संगठनों के गोरक्षकों द्वारा हत्या की घटनाओं की आलोचना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2017 में की।
इसके बावजूद बीजेपी से से जुड़े संगठन आरएसएस ने गौ तस्करी और लव जेहाद का मुद्दा न सिर्फ गरमाया बल्कि इसे रोकने के लिए 5000 धार्मिक सैनिकों की भर्ती की घोषणा की। इससे माहौल और बिगड़ा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में सुरक्षाबलों ने पिछली गलतियों को न केवल दोहराया बल्कि उसकी जबावदेही से भी मुंह मोड़ा है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में सुरक्षाबलों द्वारा अत्याचार और गैर वाजिब तरीके से हत्या के आरोप भी लगाए गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2017 के पहले 10 महीनों में जम्मू-कश्मीर में 42 आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें 44 सुरक्षाकर्मियों समेत कुल 184 लोगों की मौत हुई है। रिपोर्ट में गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद पंचकुला, पंजाब और हरियाणा में हुई हिंसा का भी जिक्र किया गया है और कहा गया है कि इसमें 38 लोगों की जान चली गई।
बता दें कि ह्यूमन राइट वॉच ने दुनिया भर के 90 देशों में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में यह रिपोर्ट प्रकाशित की है। यह वर्ल्ड रिपोर्ट ह्यूमन राइट वॉच का 28वां संस्करण है।