पहले बाबरी मस्जिद, फिर तीन तलाक और अब अकबर के नाम पर हो रही मुसलमानो की घेराबंदी”

ब्यूरो (राजा ज़ैद) । क्या इस देश में सचमुच मुसलमानो की घेराबंदी हो रही है। पहले बाबरी मस्जिद, फिर तीन तलाक और अब अकबर और महाराणा प्रताप की तुलना, आखिर मतलब क्या है इन सब बातो का ?

सैकड़ो वर्षो से बाबरी मस्जिद अयोध्या में थी, अंग्रेजो के समय में और आज़ादी के बाद भी कई वर्षो तक चरमपंथी संगठनों को याद नहीं आया कि जहाँ बाबरी मस्जिद बनी है अयोध्या में उसी जगह भगवान राम पैदा हुए थे। 1980 तक संसद के कौने में तीन सीटों पर बैठने वाली बीजेपी ने सत्ता तक पहुँचने का रास्ता बनाने के लिएआरएसएस और हिन्दू संगठनों का सहारा लेकर देश में हिन्दू मुस्लिम का बीज बो दिया और आज उसी बीज से उपजी फसल की कटाई हो रही है।

बीजेपी आरएसएस ने राम मंदिर का मुद्दा उछाल कर जो किया उससे देश में सांप्रदायिक ताकतों को सिर उठाने का मौका मिल गया। 1992 में 6 दिसंबर के दिन बाबरी मस्जिद ढहा दी गयी। इस कृत्य से बीजेपी हिन्दू मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने में कामयाब रही और सत्ता तक पहुँच गयी।

इस दौरान वर्ष 2002 गुजरात में सांप्रदायिक दंगो के सैकड़ो मुसलमानो का कत्लेआम हुआ और पूरे मामले राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री पर भी उँगलियाँ उठीं लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का मुख्यमंत्री बदलने की जगह सिर्फ उन्हें राजधर्म निभाने की सलाह देते हुए जीवनदान दे दिया।

गनीमत होती कि मामला यहीं ठहर जाता लेकिन एक सोची समझी राजनीति के तहत और खुद को हिंदुत्व का असली चेहरा बताने के उद्देश्य से वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावो में प्रधानमंत्री के तौर पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सामने लाया गया और बीजेपी पूर्ण बहुमत से सत्ता पर काबिज हो गयी।

सत्ता में आते ही बीजेपी ने मुसलमानो में तीन तलाक को लेकर एक और नया बीज बोया जो मुसलमानो की घेराबंदी करने का एक और तरीका मात्र है। खुद को हिंदुत्व का संरक्षक मानने वाली बीजेपी का मुस्लिमो के तीन तलाक से कोई लेना देना नहीं हैं बल्कि मुसलमानो को यह बताने की कोशिश है कि इस देश में अब जो बीजेपी और हिंदूवादी ताकतें चाहेंगी वही होगा।

यदि तीन तलाक से मुस्लिमो महिलाओं के अधिकारों और हितो का हनन होता है तो गुजरात में 2002 दंगो के दौरान मुस्लिम महिलाओं से रेप करने और उन्हें ज़िंदा जलाने वाले कौन थे ? क्या वे भी मुसलमान थे ? क्या वे उसी राजनीतिक विचारधारा और कट्टर मानसिकता के लोग नहीं थे जो आज तीन तलाक पर उलटे सीधे बयान देकर खुद को मुस्लिम महिलाओं का रहनुमा बता रहे हैं।

देश के मुसलमानो की घेराबंदी करने का सिलसिला अभी यहीं नही थमता दिखाई दे रहा। अभी हाल ही में महाराणा प्रताप की मूर्ति के लोकार्पण के एक कार्यक्रम में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने महाराणा प्रताप और अकबर की तुलना में अकबर को महान बताकर आने वाले समय के लिए नया टॉपिक दे दिया।

राजनाथ सिंह कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि इतिहासकारों को अकबर की महानता तो नजर आई, लेकिन राजस्थान के वीर सपूत महाराणा प्रताप की महानता नजर नहीं आयी। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि इतिहासकारों से यह भूल हुई है।

बड़ी अजीब सी बात है, महाराणा प्रताप और अकबर को लेकर जो बात राजनाथ सिंह ने कही उसे कभी किसी इतिहासकार ने स्वीकार नहीं किया। सम्राठ अकबर की तुलना महाराणा प्रताप से करने से न तो इतिहास बदल सकता है और न बादशाह अकबर का योगदान कम हो सकता है। राजनाथ ने जो कुछ कहा वह मात्र इशारा भर है कि आने वाले समय में इतिहास से भी खुलमखुल्ला छेड़छाड़ की जा सकती है।

जब बीजेपी के लिए तीन तलाक दहेज़ हत्या से ज़्यादा घातक हो सकती है तो महाराणा प्रताप का योगदान भी अकबर से ज़्यादा हो सकता हैं। खामियों को खूबियां बताकर बार बार झूठ बोलना जिनकी खसलत में शामिल हो वे मुसलमानो की घेराबंदी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

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