सरकार का तर्क, सेक्‍युलर लॉ के दायरे में लाया जा सकता है ‘ट्रिपल तलाक’

नई दिल्ली । ट्रिपल तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जवाब तैयार करने में केंद्र सरकार काफी सावधानी बरत रही है। सरकार के अनुसार, मुसलमानों की आस्था के संवैधानिक अधिकार से छेड़छाड़ किए बगैर इस परंपरा को सेक्‍युलर लॉ के दायरे में लाया जा सकता है।

शरीयत  पर आधारित है ट्रिपल तलाक

ट्रिपल तलाक मुस्‍लिम समुदाय की शरीयत  पर आधारित  है, जिसके अनुसार पतियों को मौखिक रूप से तलाक देने का अधिकार है। इस परंपरा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है। चुनौती वाले इस याचिका को देने वाले याचिकाकर्ताओं में मुस्‍लिम महिलाएं हैं। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ट्रिपल तलाक को मुस्‍लिम परंपरा बताते हुए कहा है कि इसके साथ छेड़छाड़ उचित नहीं।

मामले पर वरिष्‍ठ मंत्रियों की बैठक

गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्‍त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद और महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस मुद्दे पर बैठक की। इस बैठक में यह निष्‍कर्ष निकला कि राष्ट्रीय महिला आयोग जैसे तमाम पक्षों की राय के लिए कानून मंत्रालय एक जवाब तैयार करेगी।

सूत्रों ने बताया कि सरकार इस बात को लेकर गंभीर कि सुप्रीम कोर्ट में उसके जवाब को मुस्लिम समुदाय की परंपराओं पर अंकुश लगाने की कोशिश या राजनीति से प्रेरित होने के तौर पर नहीं देखा जाए, क्योंकि भाजपा के राजनीतिक विरोधियों ने उस पर समान नागरिक संहिता की वकालत करने का आरोप लगाया है।

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