रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा ‘नोटबंदी और जीएसटी ने रोकी देश की तरक्की’

रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा ‘नोटबंदी और जीएसटी ने रोकी देश की तरक्की’

नई दिल्ली। रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि दो वर्ष पूर्व देश में लागू की गयी नोट बंदी और बाद में लागू किये गए जीएसटी ने भारत की आर्थिर रफ्तार पर ब्रेक लगा दिए हैं।

राजन ने मौजूदा विकास दर को नाकाफी बताते हुए कहा कि सात प्रतिशत की मौजूदा वृद्धि दर देश की जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से रिज़र्व बैंक के कामकाज में दखल का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत में बहुत सारे निर्णयों में पीएमओ का दखल भी तमाम दिक्कतों में से एक है।

राजन ने बर्कले में शुक्रवार को कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में भारत के भविष्य पर आयोजित द्वितीय भट्टाचार्य व्याख्यान में कहा कि नोटबंदी और जीएसटी इन दो मुद्दों से प्रभावित होने से पहले 2012 से 2016 के बीच चार साल के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि काफी तेज रही।

राजन ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के दो लगातार झटकों ने देश की आर्थिक वृद्धि पर गंभीर असर डाला. देश की वृद्धि दर ऐसे समय में गिरने लग गई जब वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर गति पकड़ रही थी।

भारत की आर्थिक वृद्धिदर को लेकर राजन ने कहा कि जिस तरह के लोग श्रम बाजार से जुड़ रहे हैं, उनके लिये सात प्रतिशत पर्याप्त नहीं है। हमें अधिक रोजगार सृजित करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि 2017 में यह हुआ कि विश्व की वृद्धि के गति पकड़ने के बाद भी भारत की रफ्तार सुस्त पड़ी. इससे पता चलता है कि इन झटकों (नोटबंदी और जीएसटी) वास्तव में गहरे झटके थे।

तेल की कीमतों का ज़िक्र करते हुए रघुराम राजन ने कहा कि भले ही देश नोटबंदी और जीएसटी की रुकावटों से उबरने लगा हो लेकिन कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से घरेलू अर्थव्यवस्था के समक्ष परिस्थितियां थोड़ी मुश्किल होंगी।

बैंको के बढ़ते एनपीए को लेकर राजन ने कहा कि यह जरूरी है कि बुरी चीजों से निपटा जाए, ताकि बैलेंस शीट साफ हो और बैंक वापस पटरी पर लौट सकें। उन्होंने कहा कि देश में एनपीए की चुनौती से निपटने के लिये बहुस्तरीय रुख अपनाने की जरूरत है।

रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि यदि हम सात प्रतिशत से कम दर से वृद्धि करते हैं तो निश्चित तौर पर कुछ गड़बड़ियां हैं। उन्होंने कहा कि भारत को इस आधार पर कम से कम अगले 10-15 साल तक वृद्धि करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत को श्रम बल से जुड़ रहे नये लोगों के लिये प्रति माह 10 लाख रोजगार के अवसर सृजित करने की जरूरत है।

राजन ने रिज़र्व बैंक के कामकाज में प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल को लेकर कहा कि बहुत सारे निर्णयों के लिए पीएमओ की सहमति आवश्यक है। राजन ने सरदार पटेल की मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का जिक्र करते हुए बड़ी परियोजनाओं में प्रधानमंत्री कार्यालय की सहमति की जरूरत की ओर ध्यान दिलाया।

उन्होंने कहा कि भारत में समस्या का एक हिस्सा यह है कि वहां राजनीतिक निर्णय लेने की व्यवस्था हद से अधिक केन्द्रीकृत है। राजन ने कहा कि भारत केंद्र से काम नहीं कर सकता है। भारत तब काम करता है जब कई लोग बोझ उठा रहे हों. आज के समय में केंद्र सरकार बेहद केंद्रीकृत है।

भाषा इनपुट

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital