बजट में आंकड़ों से बचती दिखी मोदी सरकार, योगेंद्र यादव ने उठाये सवाल
नई दिल्ली। शुक्रवार को लोकसभा में पेश किये गए मोदी सरकार-2 के पहले बजट में सरकार आंकड़ों से भागती नज़र आयी। बजट में सरकार इस बात को छिपाने में कामयाब रही कि पैसा कहाँ से आएगा और कहाँ कितना पैसा खर्च किया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किये गए बजट 2019-2020 के बाद इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सरकार आंकड़े सामने लाने से क्यों डर रही है। हालाँकि आंकड़ों की लुकाछिपी के लिए मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी सवाल उठे थे इसके बावजूद सरकार ने बजट में आंकड़े पेश करने से परहेज किया।
बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वराज इंडिया पार्टी के संस्थापक योगेंद्र यादव ने एक प्रेसकॉन्फ्रेंस में कहा कि ”मैं तो हैरान हूं, ये कैसी बजट स्पीच है। अभी पूरी बजट स्पीच हाथ मे नहीं आई, लेकिन बजट में कहीं इस बात का ज़िक्र नही की किस मद में कितना।”
उन्होंने कहा कि इसमें बजट कहां है, बजट का मतलब यह है कि आप बताएं कि आय कहां से हुई और खर्च कहां होगा। निर्मला जी ने अपने भाषण में एक भी आंकड़े का जिक्र नहीं किया। मैंने डॉक्युमेंट भी देखे, तो पूरे आंकड़े वहीं हैं, जो अंतरिम बजट में दिए गए हैं। इस बजट में आंकड़े तो हैं ही नहीं, फिर चर्चा किस बात की करें। पचास साल में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी वित्त मंत्री ने कोई आंकड़ा नहीं दिया।’
वहीँ इससे पहले बजट की तारीफ़ में सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यन का कहा, ”वित्त मंत्री ने लाल रंग के कपड़े में बजट दस्तावेज को रखा है. यह एक भारतीय परंपरा है। यह पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकलने का प्रतीक है। यह बजट नहीं है, ‘बही खाता’ है।’
के. सुब्रमण्यन के बहीखाता वाले बयान पर पलटवार करते हुए योगेंद्र यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘बजट में ना खाता न बही, जो निर्मला कहें वो सही। . उन्होंने कहा कि ये जीरो बजट स्पीच है। किसानों को उम्मीद थी लेकिन, सूखे का ज़िक्र नहीं. बटाईदार, ठेके पर खेती करने वालों का कोई जिक्र नहीं।”