पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने जीडीपी आंकड़ों को बताया झूठा

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने जीडीपी आंकड़ों को बताया झूठा

नई दिल्ली। देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने मोदी सरकार के जीडीपी आंकड़ों को झूठा करार दिया है। हावर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित एक शोध पत्र में अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि जीडीपी को लेकर जो आंकड़े पेश किए गए, वह झूठे थे।

इतना ही नहीं अरविंद सुब्रमण्यम ने अपने रिसर्च पेपर में देश की आर्थिक विकास दर को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जाने का दावा भी किया है। सुब्रमण्यम के अनुसार जो आंकड़े पेश किए गए, वह झूठे थे। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यम ने अपने ट्विटर एकाउंट पर शोध पत्र में प्रस्तुत किए गए सबूत भी दिए हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस रिसर्च पेपर में अरविंद सुब्रमण्यम का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2011-12 और 2016-17 के दौरान देश की आर्थिक विकास दर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। वित्तीय वर्ष 2011-12 और 2016-17 के दौरान विकास दर का आधिकारिक आंकड़ा सात फीसदी के करीब था, जबकि सुब्रमण्यम के अनुसार, असल जीडीपी करीब 4.5 फीसदी ही थी। इन वित्तीय वर्षों में विकास दर करीब 2.5% बढ़ाकर दिखाई गई।

सुब्रमण्यम के अनुसार, जीडीपी के गलत मापन का सबसे बड़ा कारण मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर(निर्माण क्षेत्र) रहा। सुब्रमण्यम ने कहा कि साल 2011 से पहले मैन्यूफैक्चरिंग उत्पादन, मैन्यूफैक्चरिंग उत्पाद और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और मैन्यूफैक्चरिंग निर्यात से संबंधित होता था, लेकिन बाद के सालों में इस संबंध में काफी गिरावट आई है।

सुब्रमण्यम की रिसर्च पेपर के अनुसार, जीडीपी ग्रोथ के लिए 17 अहम आर्थिक बिंदु होते हैं, लेकिन एमसीए-21 डाटाबेस में इन बिंदुओं को शामिल ही नहीं किया गया। मालूम हो कि देश की जीडीपी की गणना में एमसीए-21 डाटाबेस का अहम रोल होता है।

नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस(एनएसएसओ) ने वित्तीय वर्ष 2016-17 का एक आंकड़ा पेश किया था। एक मीडिया रिपोर्ट में इस बात का जिक्र था कि एनएसएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान एमसीए-21 डाटाबेस में शामिल 38% कंपनियां या तो अस्तित्व में ही नहीं थी या फिर उन्हें गलत कैटेगरी में डाला गया था। सुुब्रमण्यम के अनुसार, जीडीपी के आंकड़ों में गड़बड़ी के पीछे यह बड़ा कारण रहा।

अरविंद सुब्रमण्यम ने देश के आर्थिक विकास के लिए बनाई जाने वाली नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं। सुब्रमण्यम के अनुसार, भारतीय पॉलिसी ऑटोमोबाइल एक गलत, संभवत टूटे हुए स्पीडोमीटर से आगे बढ़ रहा है।

गौरतलब है कि देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम ने वर्ष 2016 में मोदी सरकार द्वारा अचानक लागू की गयी एक हज़ार और पांच सौ रुपये के नोट की नोटेबंदी पर भी सवाल उठाये थे और मोदी सरकार के नोट बंदी के फैसले को देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका बताया था।

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TeamDigital