2002 गुजरात : वाजपेयी-मोदी के पत्राचार को लेकर सीआईसी का पीएमओ, गुजरात सरकार को नोटिस

नई दिल्ली । सन 2002 के गुजरात दंगों के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच हुए पत्राचार को सार्वजनिक करने के मुद्दे पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किए हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला देते हुए मुख्य सूचना आयुक्त राधाकृष्ण माथुर ने पीएमओ और गुजरात सरकार को (उसके मुख्य सचिव के माध्यम से) नोटिस जारी कर उन्हें निर्देश दिया कि नवंबर के पहले सप्ताह में सुनवाई के दौरान अपनी दलीलें रखें।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि तीसरे पक्ष के विचार सुने जाने चाहिए जैसा आरटीआई अधिनियम की धारा 11 और 19 (4) में प्रावधान है। मामला सुभाष अग्रवाल से संबंधित है जिन्होंने 16 दिसंबर, 2013 के अपने आरटीआई आवेदन के माध्यम से पत्रों को सार्वजनिक करने की मांग की थी।

इससे पहले एक अन्य व्यक्ति द्वारा दाखिल एक अलग आरटीआई अर्जी के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि पत्रों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे मामले में अभियोजन और दोषसिद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। आवेदक ने 27 फरवरी, 2002 से 30 अप्रैल, 2002 के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और गुजरात सरकार के बीच राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति पर लिखे गए समस्त पत्रों की प्रतियां मांगी थीं।

बाद में निर्देशों पर प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रथम अपीलीय प्राधिकार, सीपीआईओ ने जवाब दिया था कि वे तीसरे पक्ष के विचार जानने की प्रक्रिया में हैं। इस मामले में तीसरा पक्ष गुजरात सरकार और नरेंद्र मोदी हैं।

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