तीन तलाक अध्यादेश पर राष्ट्रपति की मुहर, लेकिन अभी संसद में पास कराना अनिवार्य

तीन तलाक अध्यादेश पर राष्ट्रपति की मुहर, लेकिन अभी संसद में पास कराना अनिवार्य

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्रिपल तलाक को दंडनीय अपराध की संज्ञा में लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। यह अध्यादेश केबिनेट से मंजूरी के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था।

राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद अब ट्रिपल तलाक दंडनीय अपराधो की श्रेणी में आ जायेगा। इस अध्यादेश में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक की तरह ही प्रावधान होंगे।

इससे पहले सरकार की तरफ से ट्रिपल तलाक बिल को संसद के दोनों सदनों में पास कराने के प्रयास किये गए थे लेकिन यह बिल राज्य सभा में पास नही हो सका। विपक्ष इस बिल में कई संशोधन चाहता था। इसके बाद सरकार ने अध्यादेश लाने का रास्ता चुना।

तीन तलाक पर मोदी सरकार द्वारा अध्यादेश लाने पर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और यूपी के पूर्व केबिनेट मंत्री आजम खान ने कहा कि “यही तो भाजपा का चुनावी मुद्दा है। उन्होंने कहा कि जो इस्लामिक शरह के एतबार से जायज है, वही सही है।”

आजम खान ने कहा कि “कानून बने या न बने, अल्लाह के कानून से बड़ा कोई कानून नहीं है। उन्होंने कहा कि तलाक के मामले अल्लाह के कानून को ही मानेंगे, अध्यादेश कुरान और शरह की रोशनी में है तो कोई ऐतराज नहीं है।”

वहीँ तीन तलाक पर सरकार द्वारा अध्यादेश लाये जाने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इस सरकार के लिए यह मामला मुस्लिम महिलाओं को न्याय का नहीं, बल्कि ‘राजनीतिक फुटबाल’ का है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘तीन तलाक एक अमानवीय प्रथा थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। जब अदालत ने इसे रद्द कर दिया तो यह कानून बन गया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह मुद्दा हमेशा से मानवीय और महिलाओं को अधिकार दिलाने का मामला रहा है। हमारे कई नेताओं ने अदालत में महिलाओं की पैरवी भी की।

अध्यादेश लागू होने में अभी ये है पेंच:

मोदी कैबिनेट ने भले ही अध्यादेश पास कर दिया है, लेकिन इसे संसद में पास कराना सरकार के लिए अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2017 में फैसला दिया था कि अध्यादेश लाने की शक्ति कानून बनाने के लिए समांतर ताकत नहीं है।

कोर्ट ने कहा था कि किसी बिल के पास नहीं होने पर उसके लिए अध्यादेश लाना संविधान के साथ धोखाधड़ी है और इसलिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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TeamDigital