जस्टिस लोया की मौत की नहीं होगी एसआईटी जांच

जस्टिस लोया की मौत की नहीं होगी एसआईटी जांच

नई दिल्ली। सीबीआई के स्पेशल जज बीएच लोया की संदिग्ध मौत की एसआईटी जांच की मांग को सुप्रीमकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है।

गुरुवार को सुप्रीमकोर्ट ने बीएच लोया की मौत मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में कोई जांच नहीं होगी, केस में कोई आधार नहीं है।

जस्टिस लोया संदिघ्ध मौत के मामले में कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला, पत्रकार बीएस लोने, बांबे लॉयर्स एसोसिएशन सहित अन्य कई पक्षकारों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए विशेषसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि उनके बयान पर संदेह करना संस्थान पर संदेह करना जैसा होगा। कोर्ट ने कहा कि मामले के जरिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।

इससे पहले बेहद चर्चित और विवादास्पद मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि याचिकाकर्ता सिर्फ इस मामले को तूल देना चाहते हैं। याचिकाकर्ता यह संदेश फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि जज, पुलिस, डॉक्टर सहित सभी की मिलीभगत रही।

रोहतगी ने कहा कि ये घातक प्रचलन है, लिहाजा इसे रोका जाना चाहिए। जजों को संरक्षण देना भारत के मुख्य न्यायाधीश का कर्तव्य है और उनके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कानून का शासन चलता रहे।

रोहतगी ने जज लोया की मौत को लेकर संदेह जताने वाली खबरों को झूठा बताया। उन्होंने कोर्ट से कहा कि याचिकाओं में बेतुकेपन की सीमा लांघ दी गई है। एक याचिकाकर्ता का कहना है कि एक साथी जज के परिवार के शादी समारोह में जज लोया के साथ शामिल होने गए चार अन्य जजों की भूमिका संदिग्ध है।

रोहतगी ने कहा, एक याचिकाकर्ता तो कहता है कि वह इन जजों से सवाल-जवाब करना चाहता है। कोई कहता है कि बांबे हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए। याचिकाकर्ताओं का यह कहना है कि जांच तीन दिनों में कैसे पूरी हुई?

जज लोया को उसी अस्पताल में क्यों ले जाया गया, दूसरे में क्यों नहीं? उन्हें ऑटो से अस्पताल ले जाया गया। जबकि सच्चाई यह है कि उन्हें साथी जज की कार से अस्पताल ले जाया गया था। याचिकाकर्ता मनगढंत कहानियां रच रहे हैं।

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TeamDigital