किसानो ने घेरी दिल्ली, बॉर्डर पर रोका गया, वापस जाने को तैयार नहीं किसान

किसानो ने घेरी दिल्ली, बॉर्डर पर रोका गया, वापस जाने को तैयार नहीं किसान

नई दिल्ली। मंगलवार को दिल्ली की तरफ बढ़ रही किसान क्रांति यात्रा को पुलिस और सुरक्षा बलों ने दिल्ली- यूपी बॉर्डर पर रोक दिया है लेकिन किसान अपने कदम वापस खींचने को तैयार नहीं है। इस बीच दिल्ली यूपी बॉर्डर सील कर दिया गया है और इलाके में धारा 144 लागू कर दी गयी है।

इससे पहले किसानो की तादाद को देख पुलिस के हाथ पेर फूल गए। किसानो को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए उनपर आंसू गैस के गोले छोड़े गए और पानी की तेज धार (वाटर केनन) का इस्तेमाल किया गया।

इसके बावजूद दिल्ली यूपी सीमा पर किसान डटे हुए हैं। इस बीच सरकार की तरफ से प्रतिनिधि भेजकर किसानो से बातचीत की कोशिश की गयी। केंद्र सरकार के दूत के तौर पर राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बातचीत के प्रयास किये लेकिन उनकी कोशिशें नाकामयाब साबित हुईं।

बातचीत टूटने के बाद भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के अध्यक्ष राकेश सिंह टिकैत ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों की बात मानने की नहीं है। टिकैत ने कहा कि सरकार के साथ वार्ता नाकाम रही, इसलिए गाजीपुर बॉर्डर पर किसान रातभर प्रदर्शन करेंगे।

किसानों को रोकना संवैधानिक व्यवस्था की हत्या: जयंत चौधरी

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि किसान अगर आज सड़कों पर है तो यह भाजपा की सरकारों के वादाखिलाफी के विरुद्ध आक्रोश को और कृषि संकट को प्रमाणित करता है।

उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को लेकर राजधानी की सीमा पर पहुंची ‘किसान क्रांति यात्रा’ को केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत देने से मना करना अलोकतांत्रिक है और संवैधानिक व्यवस्था की हत्या है।

जयंत चौधरी ने सवाल किया कि देश की राजधानी, राजघाट या किसान घाट किसान के लिए बंद क्यों? ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे सरकार सुनने के बजाय, गरीबों की आवाज दबाना चाहती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल मांग करता है कि सरकार शांतिपूर्ण जन आंदोलन का सम्मान करे और किसान की मांगों को स्वीकार कर लागू करे।

रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने आरोप लगाया कि देश भर के किसान बुरे दौर से गुजर रहे हैं। किसानों को न गन्ने की फसल का भुगतान समय पर मिल रहा है और न ही किसी फसल की उचित मूल्यों पर खरीद हो रही है। पेट्रोल और डीजल के दामों में हो रही वृद्धि से किसानों की कमर टूट गई है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और किसानों के नाम से चल रही अन्य योजनाएं या तो अव्यवहारिक हैं या फिर उनके क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार व्याप्त है। फलस्वरूप, उनका कोई लाभ गांव तक नहीं पहुंच रहा है। उत्तर प्रदेश में तो राज्य सरकार ने विद्युत दरें इतनी बढ़ा दी हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में हर घर पर आर्थिक तंगी के काले बादल मंडरा रहे हैं।

क्या है मामला:

कर्जमाफी और बिजली बिल के दाम करने जैसी मांगों को लेकर किसान क्रांति पदयात्रा 23 सितंबर को हरिद्वार से शुरू हुई थी। जिसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और मेरठ जिलों से गुजरते हुए किसान सोमवार को गाजियाबाद तक पहुंच गए।

जहां इन किसानों को रोक दिया गया। इन किसानों की योजना गांधी जयंती के मौके पर राजघाट से संसद तक मार्च करने की है। लेकिन दिल्ली पुलिस की ओर से उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई है। साथ ही दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर को सील कर दिया गया है। यूपी पुलिस और दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की तरफ जाने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया गया है।

हरिद्वार से दिल्ली के लिए भारतीय किसान क्रांति यात्रा सोमवार को साहिबाबाद पहुंच गई । इस दौरान हजारों की संख्या में किसानों ने जीटी रोड को पूरी तरह जाम कर दिया दिल्ली के लिए कूच करने लगे।

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TeamDigital