ऐतिहासिक मस्जिद ने खोले महिलाओं के लिए दरवाजे
कोट्टायम । केरल में तझाथानगेडी में अपनी वास्तुकला और काष्ठ कला के लिए प्रसिद्ध हजार साल पुरानी मस्जिद ने मुसलिम महिलाओं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। महिलाओं को रविवार मस्जिद के प्रसिद्ध वास्तुशिल्प की झलक दिखाने के लिए उन्हें मस्जिद में प्रवेश की अनुमति दी गई।
हाल में कुछ महिला संगठनों ने पूजास्थलों या इबादतगाहों में औरतों के प्रवेश पर लगी पाबंदी का विरोध किया है। महाराष्ट्र की भूमाता ब्रिगेड ने शिंगणापुर के शनिमंदिर में महिलाओं को प्रवेश का अधिकार दिलाकर स्त्रियों को नई राह दिखाई है। इसी से प्रेरणा लेकर मुसलिम महिलाएं हाजी अली दरगाह और अन्य इबादतगाहों में महिलओं के प्रवेश की मांग कर रही हैं।
केरल की तझाथानगेडी जुमा मस्जिद को धरोहरों की फेहरिस्त में रखा गया है। यह भारत की प्राचीनतम मस्जिदों में एक है। रविवार को हजारों की संख्या में मुसलिम महिलाएं केरल के विभिन्न इलाकों और विदेश से मस्जिद में आई थीं जिनमें पर्यटक भी शामिल थीं।
मस्जिद के इंतजामकार ने साफ तौर पर कहा, यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब महिलाओं को कुछ खास इबादतगाहों में प्रवेश देने की मांग जोर पकड़ती जा रही है।
इस बीच मस्जिद समिति के अध्यक्ष अधिवक्ता नवाब मुल्लादोम ने कहा, ‘यह एक हजार साल पुरानी मस्जिद है। हमारी महिलाओं ने इसे अभी तक नहीं देखा था और उनकी पवित्र स्थल में आने की बहुत इच्छा थी। इसलिए मस्जिद समिति ने महिलाओं को 24 अप्रैल और आठ मई को प्रवेश की अनुमति देने का फैसला किया।’
उन्होंने बताया कि मस्जिद को ‘किसी समारोह या नमाज’ के लिए नहीं खोला गया था। यह केवल महिलाओं को इस जगह को देखने की अनुमति देने के लिए था।’ उन्होंने साथ ही कहा कि महिलाओं के प्रवेश से पहले पुरुषों को मस्जिद से जाने को कहा गया।
मुसलिम महिलाओं ने मस्जिद में प्रवेश के दौरान अपना पारंपरिक परिधान पहन रखा था। मस्जिद में प्रवेश करने वाली फातिमा ने कहा, ‘मैं हमेशा से यहां आना और इबादत करना चाहती थी। लेकिन मैं यह इच्छा जताने से भी डरती थी। मैं खुश हूं कि अब ऐसा अवसर मिला है।’
जुमा मस्जिद तझाथानगेडी स्थित एक मस्जिद है जो केरल का विरासत क्षेत्र माना जाता है। मीनाचिल नदी के किनारों पर स्थित मस्जिद अपनी समृद्ध वास्तुकला, काष्ठ कला और सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। भारत में सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक मानी जाने वाली इस मस्जिद को ‘ताज जुमा मस्जिद’ भी कहा जाता है।