उत्तर प्रदेश पुलिस में काम कर रहे मुस्लिमो के दाढ़ी रखने के लिए ये है शर्त
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश के पुलिस महकमे में काम कर रहे मुस्लिम लोगों को दाढ़ी रखने के लिए पुलिस कप्तान से अनुमति लेनी होगी। धार्मिक आधार पर दाढ़ी रखकर पुलिस की नौकरी करने की इजाजत मांगने वाले बिजनौर जिले के सिपाही नईम अहमद की अर्जी पर सुनवाई पर हाईकोर्ट ने मामले का अंतिम फैसला पुलिस विभाग के अधिकारी पर ही छोड़ा है।
कोर्ट ने कहा कि प्रदेश सरकार का पुलिस विभाग तय करे कि वो किस मुस्लिम वर्दीधारी को दाढ़ी रखने की इजाजत देता है और किसे नहीं देता ? यानी कि दाढ़ी रखने की ये एक शर्त है कि दाढ़ी रखने के लिए कप्तान की इजाजत लेनी होगी।
गौरतलब है कि यूपी पुलिस के एक मुस्लिम सिपाही ने ड्यूटी पर दाढ़ी रखने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सिपाही ने महकमे के क्लीन सेव के नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और दाढ़ी रखने की अनुमति मांगी गई। हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू की तो सिपाही की ओर से धार्मिक मान्यताओं की दलील दी गई। साथ ही मुस्लिमों के लिए 1985 में जारी सर्कुलर का हवाला दिया गया।
अदालत ने इस मामले को निस्तारित करते हुए एसपी को आदेश दिया कि वो दो महीने में निर्णय लें कि सिपाही को दाढ़ी रखनी है या नहीं। कोर्ट ने इस मामले में सीधे तो कोई आदेश नहीं दिया लेकिन अब एसपी चाहेंगे तो यूपी पुलिस का सिपाही ऑन ड्यूटी दाढ़ी में नजर आएगा।
दाढ़ी को लेकर विवाद मामला यूपी के बिजनौर का है। बिजनौर पुलिस लाइन में तैनात सिपाही नईम अहमद ने दाढ़ी रखने के लिए अपने अधिकारी से इजाजत मांगी। लेकिन नईम को नियमावली बताते हुए ऑन ड्यूटी क्लीन सेव रहने की हिदायत दी गई। विवाद बढ़ा तो नईम ने दाढ़ी रखने की इजाजत के लिए यूपी पुलिस को अदालत में खीचा और हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी।
याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने करते हुए एसपी बिजनौर को आदेशित किया कि पुलिस लाइन में तैनात सिपाही नईम को दाढ़ी रखने की अनुमति देने के मामले में नियमानुसार दो महीने में निर्णय लें।