इस मुस्लिम महिला आईपीएस ने किया ऐसा काम कि हर किसी से मिली तारीफ़
शिमला। देश की दूसरी महिला मुस्लिम आईपीएस अधिकारी ‘अंजुम आरा’ ने एक ऐसी मिसाल कायम की है कि हर कोई उनके लिए तारीफ़ भरे शब्द कहते नहीं थक रहा। अंजुम ने धर्म और ओहदे से ऊपर उठकर मां की ममता की अनूठी निशानी पेश की है ।
गौरतलब है कि अंजुम आरा हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन की मौजूदा पुलिस अधिकारी हैं। उन्होंने हाल ही में सीमा पर शहीद हुए पंजाब के जांबाज सैनिक परमजीत सिंह की बेटी की मुंहबोली मां बनने का बीड़ा उठाया है।
हालांकि उनकी पहले से ही एक मां है लेकिन यह बच्ची की किस्मत है कि उसे दूसरी मां के तौर पर देश की एक काबिल आईपीएस अधिकारी मिली है।
आईपीएस अंजुम आरा का जन्म आजमगढ़ के कम्हरिया गांव से बिलॉन्ग करती हैं। एक गांव से निकलकर उन्होंने अपने टैलेंट दिखाया और देश की दूसरी महिला मुस्लिम अधिकारी बनीं। यह बात भी बड़ी रोचक है कि आईपीएस अधिकारी होने के बाद अंजुम की एजुकेशन टेक्निकल स्ट्रीम से जुड़ी रही है। अंजुम आरा की खासियत यही है कि वो आम व खास सभी के लिए बराबर व्यवहार रखती हैं।
अंजुम की शादी कुल्लू के डीएम से हुई है। पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता को आईपीएस बनने की इच्छा बताई तो उन्होंने अपनी बेटी अंजुम को वह सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जो उसका सपना साकार कर सकें।
मुस्लिम परिवार की पर्दा प्रथा उनके लिए भी कठिनाई भरी थी। ऐसे में उनके पिता ने उनका बखूबी साथ दिया। इससे पहले मुंबई की सारा रिकावी ने पहली मुस्लिम महिला आईपीएस बनने का गौरव हासिल किया था।
आपको बता दें कि अंजुम कुल्लू के जिलाधीश यूनूस खान की बेगम हैं। अंजुम के अनुसार उनका दिल उस समय द्रवित हो उठा था जब शहीद परमजीत सिंह की बेटी ने अपने जांबाज पिता को अंतिम सैल्यूट किया था। बच्ची के सिर से पिता का हाथ उठ जाने के बाद उन्होंने बच्ची को एक दत्तक पुत्री की तरह प्यार देने का फैसला लिया और उसे मां का प्यार देने की बात की। अब तय है कि शहीद की बेटी को अंजुम सोशल तौर पर भी अपनाएंगी।