साढ़े छह साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक
नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर जूझ रही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक और बुरी खबर है। मैन्यूफैक्चरिंग, पावर और माइनिंगसेक्टर के खराब प्रदर्शन की वजह से अगस्त में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) गिरकर -1.1 फीसदी रह गया जो साढ़े छह साल से भी ज्यादा अवधि का सबसे निचला स्तर है।
केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के 23 उद्योगों में से 15 उद्योगों में अगस्त के दौरान उत्पादन बढ़ने के बजाय घटता दिखाई दिया यानि इनकी सूचकांक शून्य से नीचे दर्ज किया गया।
शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, आईआईपी में करीब 77 फीसदी का योगदान रखने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का उत्पादन अगस्त 2019 में 1.2 फीसदी गिर गया, जबकि अगस्त 2018 में इसमें 4.8 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी।
हालाँकि माइनिंग सेक्टर में वृद्धि दर सकारात्मक रही लेकिन अगस्त के दौरान इसकी रफ्तार सिर्फ 0.1 फीसदी रही लेकिन बिजली क्षेत्र में उत्पादन 0.9 फीसदी गिर गया।
मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की बात करें तो अगस्त के दौरान इसका आंकड़ा -1.2 फीसदी पर रहा जबकि जुलाई में 4.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। कुल औद्योगिक उत्पादन में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 75 फीसदी से ज्यादा होती है। मैन्यूफैक्चरिंग में ऑटो सेक्टर की हिस्सेदारी 50 फीसदी से भी ज्यादा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर महज 5 फीसदी पर रह गई थी जो पिछले पांच साल की सबसे धीमी रफ्तार थी।
ऑटोमोबाईल सेक्टर में मंदी का दौर जारी:
आर्थिक मोर्चे पर सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। यात्री वाहनों की घरेलू बिक्री में लगातार 11वें महीने गिरावट दर्ज की गई है। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) ने सितंबर महीने की बिक्री के आंकड़े जारी कर दिए हैं।
आकड़ों के मुताबिक, यात्री वाहनों की घरेलू बिक्री सितंबर में 23.69 प्रतिशत से घटकर 2 लाख 23 हजार 317 यूनिट रह गई। पिछले साल इस महीने में 2 लाख 92 हजार 660 यात्री वाहन बिके थे।
आंकड़ों के अनुसार, सभी श्रेणियों के वाहनों की बिक्री 22.41 प्रतिशत से घटकर 20 लाख 04 हजार 932 यूनिट रह गई। पिछले साल इसी महीने में 25 लाख 84 हजार 62 वाहन बिके थे।
मूडीज ने भी जताया जीडीपी ग्रोथ का अनुमान:
हाल ही में मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने 2019-20 में भारत के जीडीपी की वृद्धि दर का अनुमान 6.20 फीसदी से घटाकर 5.80 फीसदी कर दिया। मूडीज का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नरमी से काफी प्रभावित है और इसके कुछ कारक दीर्घकालिक असर वाले हैं।