नोबेल विजेता ने कहा “भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत नाजुक, जल्द सुधार की उम्मीद नहीं”

नोबेल विजेता ने कहा “भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत नाजुक, जल्द सुधार की उम्मीद नहीं”

नई दिल्ली। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अपने अहम योगदान के लिए नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किये जाने के बाद पहली प्रतिक्रिया में 58 वर्षीय अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थति अच्छी नहीं है।

एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में अभिजीत बनर्जी ने कहा कि ‘पिछले पांच-छह वर्षों में, हमने कम से कम कुछ विकास तो देखा, लेकिन अब वह आश्वासन भी खत्म हो गया है।’

उन्होंने कहा कि ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति डगमगाती हुई है। वर्तमान (विकास के) आंकड़ों को देखने के बाद, (निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार) को लेकर निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता है।’

अभिजीत बनर्जी ने यह भी कहा कि ‘इस समय उपलब्ध आंकड़ें यह भरोसा नहीं जगाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर आ सकती है।’ नोबेल पुरूस्कार मिलने पर ख़ुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि ‘मैं पिछले 20 वर्षों से शोध कर रहा था, हमने गरीबी उन्मूलन के लिए समाधान देने की कोशिश की।’

भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो को साल 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। उनके साथ ही अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। तीनों को संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया जाएगा।

नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि तीनों अर्थशास्त्रियों को ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गरीबी कम करने के उनके प्रयोगात्मक नजरिए’ के लिए पुरस्कार दिया जा रहा है।

कौन हैं नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी :

अभिजीत बनर्जी का जन्म मुंबई में हुआ था और वह अभी मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय प्रोफेसर हैं। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1988 में उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की।

नोबेल पुरूस्कार जीतने के बाद अभिजीत बनर्जी उन भारतीय और भारतीय मूल के लोगों में शामिल हो गए हैं, जिन्हें भौतिकी, रसायन, शांति, अर्थशास्त्र और चिकित्सा जैसे विषयों में योगदान के लिए प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है।

गौरतलब है कि अभिजीत बनर्जी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के मैनिफेस्टो में शामिल बहुचर्चित ‘NYAY’ योजना की रुपरेखा तय करने वाली टीम का हिस्सा थे ।

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