चर्चा में: कौन हैं राजीव धवन, जिन्होंने अयोध्या मामले में लड़ा मुस्लिम पक्ष का केस
नई दिल्ली। देश के इतिहास में जब भी अयोध्या विवाद का ज़िक्र होगा तो उसमे राजीव धवन का नाम अवश्य लिया जाएगा। राजीव धवन वे शख्स हैं जिन्होंने सुप्रीमकोर्ट में मुस्लिम पक्षकारो की तरफ से केस लड़ा।
राजीव धवन का नाम आजकल चर्चा में हैं। वजह है कि राजीव धवन ने सुप्रीमकोर्ट में मुस्लिम पक्षकारो की तरफ से जिस तरह दलीलें रखीं, उसे सभी ने सराहा है। अहम बात है कि हिन्दू समुदाय से होने के बावजूद राजीव धवन ने अयोध्या की विवादित ज़मीन का मुकदमा मुस्लिम पक्षकारो की तरफ से लड़ा।
इस मामले में कोर्ट का फैसला जो भी आये लेकिन सुप्रीमकोर्ट में 40 दिनों तक चली सुनवाई में राजीव धवन छाए रहे। उन्होंने अपनी दलीलो में इतिहास के वे पन्ने पलट डाले जो सैकड़ो साल से बेनामी पड़े थे। इतिहास के इन पन्नो की जानकारी शायद देश के चंद इतिहासकारो को ही रही होगी।
अहम बात यह भी है कि राजीव धवन ने मुस्लिम पक्षकारो का केस लड़ते हुए लगातार धमकियों का भी सामना किया। इसके बावजूद वे मुस्लिम पक्षकारो का केस लड़ने के अपने फैसले से पीछे नहीं हटे।
राजीव धवन को ये केस लड़ने के लिए एक पूर्व सरकारी अधिकारी ने धमकी दी थी, लेकिन राजीव धवन ने अधिकारी के ही खिलाफ कोर्ट में केस दायर कर यह साबित कर दिया कि वे किसी से डरते नहीं और हर स्थति का मुकाबला कानून की मदद से करेंगे।
72 वर्षीय राजीव धवन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं, सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दी गई वरिष्ठ वकीलों की लिस्ट में राजीव धवन का 130वां स्थान है और वे मई 1994 से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं।
राजीव धवन की वेबसाइट के मुताबिक उन्होंने इलाहाबाद हाई स्कूल से और शेरवुड स्कूल नैनीताल से अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण की है जबकि इसके आगे की पढ़ाई उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कैंब्रिज विश्वविद्यालय और लंदन विश्वविद्यालय से प्राप्त की है।
राजीव धवन के पिता का नाम शांति स्वरूप धवन है जो न्यायधीश, यूके में भारत के राजदूत, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और लॉ कमिशन के सदस्य रह चुके हैं।
राजीव धवन ने 1992 में वकालत करना शुरू किया था, उन्होंने कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के साथ वकालत का काम सीखा था। 1992 में मंडल मामले और 1994 में अयोध्या मामले में राजीव धवन की जिरह से प्रभावित होकर उन्हें सुप्रीम कोर्ट का वरिष्ठ वकील नियुक्त किया गया था।