कड़ी मेहनत कर दूर दराज के बच्चों को साईकिल से पुस्तकें पहुंचाता है ये शिक्षक

कड़ी मेहनत कर दूर दराज के बच्चों को साईकिल से पुस्तकें पहुंचाता है ये शिक्षक

एक अफ़ग़ान शिक्षक इस देश के दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के लिए साईकिल से पुस्तक पहुंचाता है। जो बच्चे अफ़ग़ानिस्तान के दूरस्थ क्षेत्रों में रहते हैं एक अफ़ग़ान शिक्षक साइकल से उन्हें पुस्तक पहुंचा कर पढ़ने का अवसर उपलब्ध कराता है।

Afghan

काबुल । प्रेस टीवी की रिपोर्ट के अनुसार सप्ताह के अंत में मिलने वाली छुट्टियों में सुबह लगभग आठ बजे अफ़ग़ास्तान के बामियान प्रांत के केन्द्र बामियान शहर का रहने वाला साबिर हुसैनी नामक शिक्षक अपने व्यक्तिगत पुस्तकालय से कुछ किताबों को चुन कर साइकल पर लादता है और नगर के आस- पास स्थित उन गांवों की ओर जाता है जहां स्कूल, मदरसे और पढ़ने- लिखने की कोई संभावना नहीं हैं।

हुसैनी कच्चे रास्तों पर लगभग एक घंटे तक साइकल चलाने के बाद उन गांवों तक पहुंचता है जो शिक्षा की संभावनाओं से वंचित हैं और अपनी किताबों को क्षेत्र के बच्चों में बांटता है। वह किताबों को बच्चों देने के समय उनका नाम लिख लेता है ताकि बाद में उन्हें उस किताब के बजाये दूसरी पुस्तक दे सके। जो बच्चे शिक्षा की संभावनाओं से वंचित हैं वे बहुत ही कम उम्र में अपने परिजनों की सहायता के लिए काम करने पर विवश हैं और उनके रहने के क्षेत्रों में अफ़ग़ान शिक्षक हुसैनी का जाना महत्वपूर्ण, विशेष और रोचक घटना है।

एक अफ़ग़ान युवा लड़की ने जिसने हुसैनी के मोबाइल पुस्तकालय से किताब उधार ली थी, कहा कि ये सब किताबें वास्तव में बहुत अच्छी हैं और मैं प्रायः इन किताबों को पढ़ती और उनसे लाभ उठाती हूं। अफ़ग़ान शिक्षक, जो इस परिस्थिति को बेहतर बनाये जाने के प्रयास में है, हुसैनी कहता है कि इनमें से बहुत से बच्चों को तीसरी और चौथी कक्षा में होना चाहिये परंतु अभी वे लिखना- पढ़ना भी नहीं जानते हैं और इस प्रकार की स्थिति नहीं होनी चाहिये।

इस अफ़ग़ान शिक्षक के लिए किताब ख़रीदना बहुत कठिन है क्योंकि बामियान शहर में किताब बेचने की कोई दुकान नहीं है। हुसैनी ने कहा है कि काबुल में मेरे कुछ दोस्त रहते हैं जिनकी सहायता से मैंने 200 किताबों से अपना काम शुरु किया है। इन किताबों को मैंने ख़रीदा और उनसे कहा कि मेरे लिए इन्हें भेज दें। इस काम में लगभग 200 डॉलर ख़र्च हुए हैं।

अफ़ग़ान शिक्षक ने सात महीने पहले मोबाइल पुस्तकालय का काम आरंभ किया है। हुसैनी ने कहा कि जब मैं बच्चों के हाथों में किताब देता हूं तो उनके चेहरों पर प्रसन्नता के चिन्ह दिखाई देते हैं। इस प्रसन्नता का कारण यह है कि वे कुछ सिख सकते हैं। मैं भी उनको प्रसन्न देखकर प्रसन्न होता हूं। हुसैनी का मोबाइल पुस्तकालय बामियान और इसी प्रकार समूचे अफ़ग़ानिस्तान में प्रसिद्ध हो गया है। बहुत से लोगों ने हुसैनी के मोबाइल पुस्तकालय को किताब भेंट करना आरंभ कर दिया है। कुछ महीनों के अंदर ही उसके मोबाइल पुस्तकालय में मौजूद पुस्तकों की संख्या 200 से 3500 हो गयी है।

हुसैनी ने अपने इस पुस्तकालय को ऐसे घर में स्थानांतरित कर दिया है जिसमें कोई नहीं रहता है इस प्रकार उसने बामियान के पहले पुस्तकालय का उद्घाटन किया है। यह पुस्तकालय प्रतिदिन कुछ घंटे खुला रहता है और लोग वहां जाकर किताब पढ़ सकते हैं। हुसैनी ने कहा है कि कभी वह पुस्तकालय के ज़िम्मेदार रहता है और कुछ दूसरे अवसरों पर दूसरे व्यक्ति पुस्तकालय की ज़िम्मेदारी संभालते हैं।

ज्ञात रहे कि हुसैनी समस्त सप्ताहों के अंतिम दिनों में साइकल पर किताब लादकर वंचित क्षेत्रों में जाता और कहता है कि आशा है कि एक दिन पर्वतीय क्षेत्रों में भी मदरसे व स्कूल बन जायेंगे।

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TeamDigital