रामदेव के खिलाफ कार्रवाही पर अड़ा मेडिकल काउंसिल, उत्तराखंड के सीएम को लिखा पत्र

रामदेव के खिलाफ कार्रवाही पर अड़ा मेडिकल काउंसिल, उत्तराखंड के सीएम को लिखा पत्र

नई दिल्ली। एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को लेकर मनगढ़ंत बयान देकर फंसे बाबा रामदेव द्वारा अपना बयान वापस लिए जाने के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। इंडियन मेडिकल काउंसिल ने बाबा रामदेव के बयान पर सख्त तेवर दिखाते हुए तुरंत कार्रवाही की मांग को दोहराया है।

वहीँ दिल्ली मेडिकल काउंसिल बाबा रामदेव के बयान के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर भी दर्ज करा चुका है। अब इंडियन मेडिकल काउंसिल ने रामदेव के खिलाफ तुरंत कार्रवाही की मांग को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र लिखा है।

पत्र में कहा गया है कि बाबा रादमेव के अपमानजनक बयान ने कोरोना महामारी से मुकाबला कर रहे देश के डॉक्टरों के मनोबल को तोड़ने के साथ ही उनमें गुस्सा पैदा किया है, जो पूरी निष्ठा के साथ इस कठिन समय में काम कर रहे हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पत्र में लिखा कि कोरोना की पहली लहर में 153 डॉक्टर्स की जान चली गई, जबकि दूसरी लहर में IMA ने 452 डॉक्टर्स को खोया है। आईएमए उत्तरांचल की तरफ से लिखा गया है कि बाबा रामदेव के इस बयान को लेकर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।

IMA उत्तरांचल के मुताबिक इस संबंध में एक पत्र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को भी लिखा गया। केंद्रीय मंत्री ने रामदेव को पत्र लिखकर उनसे स्पष्टीकरण मांगा। आईएमए की स्टेट ब्रांच ने कहा कि हम बाबा रामदेव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद करते हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने भी की थी रामदेव के बयान की आलोचना:

वहीँ इससे पहले कल स्वास्थ्य मंत्री डा हर्षवर्धन ने एलोपैथी को लेकर रामदेव द्वारा दिए गए बयान की निंदा करते हुए उन्हें अपना पूरा बयान वापस लेने की हिदायत दी थी।

डॉ. हर्षवर्धन ने योगगुरु रामदेव के बयान पर कहा कि आपके द्वारा कोरोना के इलाज में एलोपैथी चिकित्सा को तमाशा, बेकार और दिवालिया बताना दुर्भाग्यपूर्ण है। आपका बयान डॉक्टरों के मनोबल को तोड़ने और कोरोना के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने वाला साबित हो सकता है। आशा है कि आप कोरोना योद्धाओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए, अपना आपत्तिजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बयान पूरी तरह से वापस लेंगे।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ”आपका यह कहना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि लाखों कोरोना मरीजों की मौत एलोपैथी दवा खाने से हुई। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना महामारी के खिलाफ यह लड़ाई सामूहिक प्रयासों से ही जीती जा सकती है। इस लड़ाई में हमारे डॉक्टर, नर्सें और दूसरे स्वास्थ्यकर्मी जिस तरह अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने में दिन-रात जुटे हैं, वह कर्तव्य और मानव सेवा के प्रति उनकी निष्ठा की अतुलनीय मिसाल है।”

डॉ हर्षवर्धन ने लिखा है कि संपूर्ण देशवासियों के लिए कोविड-19 के खिलाफ दिन-रात युद्धरत डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्यकर्मी देवतुल्य हैं। बाबा रामदेव के वक्तव्य ने कोरोना योद्धाओं का निरादर कर, देशभर की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई। लोगों की इस भावना से मैं आपको फोन पर पहले ही अवगत करवा चुका हूं। कल आपने जो स्पष्टीकरण जारी किया है, वह लोगों की चोटिल भावनाओं पर मरहम लगाने में नाकाफी है।

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TeamDigital