CJ ने 5 जजों वाली संवैधानिक पीठ बनाई, प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले किसी भी जज का नाम नहीं

CJ ने 5 जजों वाली संवैधानिक पीठ बनाई, प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले किसी भी जज का नाम नहीं

नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अहम मामलो की सुनवाई के लिए पांच जजों वाली एक संवैधानिक पीठ का गठन किया है। इसमें प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार जजों में से किसी को भी शामिल नहीं किया गया है।

चीफ जस्टिस ने जिन पांच जजों की संवैधानिक पीठ में शामिल किया है उनमे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सिकरी, एम खानविल्कर, डी वाई चंद्रचूर्ण और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं। ये संविधान पीठ आधार कार्ड की अनिवार्यता सहित कई अहम मामलों की सुनवाई करेगी।

इससे पहले बीते शुक्रवार को सुप्रीमकोर्ट के चार जजों जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, एम बी लोकुर और कुरियन जोसफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं होने की बात कही थी।

वहीँ आज सुप्रीम कोर्ट में कामकाज सुचारू रूप से शुरु हो गया है। कल जज कोर्ट से पहले चाय पर मिले. सभी जज आपस में मिले और बातें की. जजों के लाउंज में आज स्टाफ की गैरमौजूदगी में 15-20 मिनट तक सभी जज बैठे और बातें की।

वहीं, सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के केस की सुनवाई कर रहे सीबीआई के जज लोया की मौत की जांच की मांग उठ रही है। आज इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। जजों के आपसी मदभेद की जड़ में जज लोया की मौत का मुद्दा था। इससे पहले कल अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि जजों के बीच विवाद सुलझ गया है।

सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ के आरोपी आइपीएस अफसरों की रिहाई को चुनौती नहीं देगी सीबीआई :

गुजरात में बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में आरोपी पुलिस अफसरों की रिहाई को सीबीआई चुनौती नहीं देगी। देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी ने बांबे हाईकोर्ट में यह बात कही है। इस प्रकार सीबीआई के फैसले से इस केस में आरोपी रहे वंजारा सहित तीन वरिष्ठ पुलिस अफसरों को राहत मिली है।

सीबीआई के वकील संदेश पाटिल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि एजेंसी इस मामले में पहले ही कुछ कनिष्ठ अधिकारियों की रिहाई को चुनौती दे चुकी है।

इसके साथ ही उन्होंने आगे जोड़ा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के आरोपमुक्त होने के चुनौती देने की कोई तैयारी नहीं है। सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ में गुजरात के पूर्व उप महानिदेशक डीजी वंजारा, राजस्थान के आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन और राजकुमार पांडियन आरोपी रहे हैं।

सोहराबुद्दीन शेख के भाई रुबाबुद्दीन शेख ने मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए न्यायाधीश रेवती मोहिते-दरे की एकल पीठ में सुनवाई के लिए एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। याचिका के जरिए ट्रायल कोर्ट से इन पुलिस अफसरों के आरोपमुक्त होने को चुनौती दी गई है।

इस याचिका की सुनावाई के दौरान मुंबई हाई कोर्ट ने सीबीआई से जवाब दाखिल करने को कहा था। जिसके क्रम में सीबीआई ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि वरिष्ठ अफसरों की रिहाई को चुनौती नहीं देने का फैसला हुआ है।

गौरतलब है कि मुंबई में विशेष सीबीआई अदालत ने मुठभेड़ के आरोपी पुलिस अधिकारियों को इस आधार पर आरोप मुक्त कर दिया था कि सीबीआई उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति या विशेष अनुमति पाने में सफल नहीं हुई।

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