सुप्रीमकोर्ट में तीन तलाक पर सुनवाई पूरी, कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
नई दिल्ली। तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट में 6 दिन तक चली सुनवाई आज पूरी हो गयी। न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है। समझा जाता है कि सुनवाई के दौरान हुई बहस के बाद सुप्रीमकोर्ट के जजों की बैंच इस बारे में कोई भी फैसला सुनाने से पहले इस बारे में सभी पहलुओं पर विचार विमर्श करेगी।
6 दिन तक चली सुनवाई में जहाँ आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से तीन तलाक पर कोई कानून न बनाने की बात कही वहीँ केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि अगर शीर्ष अदालत तीन तलाक सहित तलाक के सभी तरीकों को निरस्तर कर देती है तो मुस्लिम समाज में शादी और तलाक के नियमन के लिए नया कानून लाया जाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आल इंडिया पर्सनल ला बोर्ड से पूछा कि क्या निकाहनामे में महिलाओं को तीन तलाक नकारने का विकल्प दिया जा सकता है। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने एक बार फिर तीन तलाक का विरोध करते हुए कहा कि ये इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। पर्सनल ला बोर्ड की ओर से पेश दूसरे वकील युसुफ मुछाला ने जवाब देते हुए कहा कि कोर्ट का सुझाव बहुत अच्छा है और वे इस पर विचार करेंगे।
बहस के अंत में कपिल सिब्बल ने दलीलें पूरी करते हए कहा कि वे 1400 साल के विश्वास को तो नहीं जानते, लेकिन 67 साल के विश्वास को लेकर कोर्ट आए हैं। अल्पसंख्यक उस चिडि़या की तरह हैं तो चील से बचने के लिए सुरक्षित आश्रय ढूंढ़ रही है।
जमीयत उलेमा ए हिन्द के वकील राजू रामचंद्रन ने कहा कि अगर एक व्यक्ति अपनी पत्नी को तलाक दे देता है तो फिर उसके बाद उसके साथ रहना पाप बन जाता है। अगर तीन तलाक खत्म कर दिया जाता है तो पुरुषों तलाकशुदा पत्नी के साथ रहने को मंजूर होगा। कोर्ट ऐसा पाप करने के लिए बाध्य नहीं करेगा। धर्मनिरपेक्ष अदालत उनकी विचारधारा को गलत नहीं साबित कर सकती। उसे बदलने को मजबूर नहीं कर सकती।