राष्ट्रपति चुनाव: शिवसेना द्वारा सुझाये गए स्वामीनाथन के नाम का समर्थन कर सकता है विपक्ष

राष्ट्रपति चुनाव: शिवसेना द्वारा सुझाये गए स्वामीनाथन के नाम का समर्थन कर सकता है विपक्ष

नई दिल्ली। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर बीजेपी द्वारा रामनाथ कोविंद के नाम के एलान के बाद विपक्ष ने अपने प्रत्याशी के नाम पर मंथन शुरू कर दिया है। इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि शिवसेना द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर सुझाये गए डा.एमएस स्वामीनाथन के नाम का विपक्ष समर्थन कर सकता है।

सूत्रों के अनुसार अब विपक्ष बीजेपी को उसी की चाल से मात देने के लिए कमर कस रहा है। इसके लिए शिवसेना द्वारा सुझाये गये एमएस स्वामीनाथन के नाम पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

गौरतलब है कि शिवसेना ने बीजेपी को राष्ट्रपति पद के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत का नाम सुझाया था लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत के इंकार के बाद शिवसेना ने एमएस स्वामीनाथन का नाम रखा था लेकिन बीजेपी ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई और शिवसेना द्वारा सुझाये गए नाम को प्रस्तावित उम्मीदवारों के नाम की सूची में भी शामिल नहीं किया।

अब चूँकि बीजेपी राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का नाम घोषित कर चुकी है। ऐसे में विपक्ष के पास एक बड़ा मौका है कि वह शिवसेना द्वारा सुझाये गए नाम को आगे बढ़ाये।

कौन हैं एम स्वामीनाथन :

डा. एम स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। एम.एस.स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 में तमिलनाडु राज्य के कुंभकोणम जिले में हुआ था। उनके पिता डॉ. थे तथा परिवार मध्यम वर्गीय था। जब स्वामीनाथन मात्र 10 वर्ष के थे तभी पिता का देहान्त हो गया। इस आघात के बावजूद स्वामीनाथन ने अपनी पढाई जारी रखी। 1944 में त्रावणकोर विश्वविद्यालय से बी.एस.सी. की डिग्री हासिल की। प्रारम्भ से ही उनकी रुची कृषी में थी।

1947 में कोयमंबटूर कृषी कॉलेज से कृषी में भी बी.एस.सी की डिग्री हासिल की। 1949 में स्वामीनाथन को भारतीय कृषी अनुसंधान के जेनेटिक्स तथा प्लांट रीडिंग विभाग में अशिसियोट्शिप मिल गई। उन्होने अपने बेहतरीन काम से सभी को प्रभावित किया और 1952 में उन्हे कैम्ब्रीज स्थित कृषि विधालय से पी एच डी की उपाधि मिली ।

1970 में सरदार पटेल विश्वविद्यालय ने उन्हे डी एस सी की उपाधी प्रदान की। 1969 में डॉ. स्वामीनाथन इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी के सचीव बनाये गये। वे इसके फैलो मेंम्बर भी बने। इससे पूर्व 1963 में हेग में हुई अंर्तराष्ट्रीय कॉनफ्रेंस के उपाध्यक्ष भी बनाये गये। 1954 से 1972 तक डॉ स्वामीनाथन ने कटक तथा पूसा स्थित प्रतिष्ठित कृषी संस्थानो में अद्वितिय काम किया।

इस दौरान उन्होने शोध कार्य तथा शिक्षण भी किया। साथ ही साथ प्रशासनिक दायित्व को भी बखूबी निभाया। अपने कार्यों से उन्होने सभी को प्रभावित किया और भारत सरकार ने 1972 में भारतीय कृषी अनुसंधान परिषद का महानिदेशक नियुक्त किया। साथ में उन्हे भारत सरकार में सचिव भी नियुक्त किया गया।

निदरलैण्ड के विश्वविद्यालय में जेनेटिक्स विभाग के यूनेस्को फैलो के रूप में भी 1949 से 1950 के दौरान काम किया। 1952 से 1953 में उन्होने अमेरीका स्थित विस्कोसिन विश्वविद्यालय के जेनेटिक्स विभाग में रिर्सच असोशीयेट के रूप में काम किया।

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