नमामि गंगे परियोजना पर CAG रिपोर्ट: उठे सवाल ‘क्या गंगा की सफाई भी एक राजनैतिक जुमला है’

नई दिल्ली। केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद गंगा की सफाई को लेकर जोर शोर से घोषणाएं हुईं लेकिन साढ़े तीन वर्ष बीतने के बाद गंगा की सफाई के काम में कितनी प्रगति हुई इस पर कैग रिपोर्ट में कई सवाल खड़े किये गए हैं।
मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई नमामी गंगे परियोजना को लेकर कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि स्वच्छ गंगा मिशन के लिए आवंटित किए गए 2600 करोड़ से अधिक का सरकार उपयोग ही नहीं कर सकी।
गंगा की सफाई के लिए नेशनल मिशन के लिए आवंटित 2133.76, 422.13 करोड़ और 59.28 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए जा सके। इसमें विभिन्न राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह और एग्जीक्यूटिंग एजेंसियां/केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ 31 मार्च 2017 तक ये रकम खर्च की जानी थी।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 46 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, इंटरसेप्शन एंड डायवर्सन प्रोजेक्ट्स और नहर परियोजनाओं की लागत 5,111.36 करोड़ रुपये थी। 2,710 करोड़ रुपये की लागत वाली 26 परियोजनाओं में देरी की गई। इसकी वजह भूमि नहीं होना और ठेकेदारों का धीमी गति से काम करना रहा।
गंगा की सफाई के लिए शुरू की गयी नमामि गंगे योजना में वित्तीय वर्ष 2014-15 में गंगा सफाई के लिए 2053 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया था लेकिन इसमें से महज 326 करोड़ रुपये जारी किए गए तथा इसमें से केवल 170 करोड़ 99 लाख रुपये ही खर्च हो पाए।
इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2015-16 में 1650 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया, जिसमें से 1632 करोड़ रुपये जारी किए गए और केवल 602 करोड़ 60 लाख रुपये ही खर्च हो पाए।
वहीँ वित्तीय वर्ष 2016-17 में 1675 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया, लेकिन केवल 1062 करोड़ 81 लाख रुपये ही खर्च किए जा सके हैं। जानकारों की माने तो साढ़े तीन साल में गंगा की सफाई का काम दस फीसदी भी नहीं हुआ है। कैग रिपोर्ट के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या गंगा की सफाई को लेकर गंभीरता से काम नहीं हो रहा है अथवा यह भी एक राजनैतिक जुमला है।