मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा “मैं श्रद्धा या विश्वास पर नहीं बल्कि सबूतों पर बात करूँगा”
नई दिल्ली। अयोध्या में विवादित ज़मीन के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीमकोर्ट में चल रही नियमित सुनवाई के 38 वे दिन मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने कोर्ट से कहा कि ‘मैं किसी डायरी, श्रद्धा या विश्वास पर नहीं बल्कि सबूतों पर बात करूँगा।’
राजीव धवन ने अपनी दलीलें रखते हुए सुप्रीमकोर्ट से कहा कि विवादित स्थल पर हिंदू पक्ष का कभी कब्जा नहीं रहा था, उन्हें सिर्फ पूजा का अधिकार मिला था, किसी ने आजतक नहीं माना है कि हिंदू पक्ष का आंतरिक अहाते पर कब्जा था।
राजीव धवन ने कोर्ट से कहा कि ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से मंदिर ढाहने या नष्ट करने संबंधी का कोई खोज नहीं की गई है। वादी पक्षकारों (हिन्दू पक्षकारो) ने साल 1934 के बाद से कब्जे का दावा किया, जिसका उनके पास कोई सबूत नहीं है।’
इससे पहले कोर्ट की सुनवाई शुरू होते ही मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने कोर्ट से साफतौर पर कहा कि ‘शुक्रवार को चार दिन की बात तय हुई तो मैं हिंदू पक्ष की दलील का जवाब नहीं दे सका था। अब मैं पूरी रफ्तार से अपनी दलीलें रखूंगा, फैक्ट्स बता दिए गए हैं और अब सिर्फ कानून की बात रखूंगा।
उन्होंने कहा कि ‘ब्रिटिश सरकार ने 1854 में बाबरी मस्जिद के लिए ग्रांट दिया था। 1885 से 1989 तक हिंदू पक्ष की ओर से जमीन पर कोई दावा नहीं किया गया। हिंदू पक्षकारों के पास जमीन पर अधिकार प्रमाणित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।’
राजीव धवन ने हिंदू पक्ष की ओर से लगातार दिए जा रहे स्कन्द पुराण और श्रद्धा के तर्कों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गुम्बद के नीचे रामजन्म होने के श्रद्धालुओं के फूल चढ़ाने का दावा सिद्ध नहीं हुआ है, वहां तो ट्रेसपासिंग कर लोग घुस आए थे।
गौरतलब है कि अयोध्या के विवादास्पद भूमि के मालिकाना हक को लेकर आज 38वे दिन की सुनवाई चल रही है। इस मामले में 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी होनी है। इस मामले में कुल 41 दिनों की सुनवाई पूरी हो जाएगी और ठीक एक महीने बाद 17 नवंबर को इस मामले में फैसला आने की उम्मीद है। इसी दिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सेवानिवृत्त होने वाले हैं।